रिपोर्ट :- नासिर खान

लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सभी छोटी से बड़ी पार्टियां जातिगत समीकरण के आधार पर अपने- अपने कैंडिडेट उतारे थे। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव में इस फॉर्मूले का अच्छे से इस्तेमाल किया। बता दें कि चुनाव के नतीजों में ब्राह्मण समुदाय से सबसे ज्यादा विधायक जीतकर आए हैं तो दूसरे नंबर पर ठाकुर विधायकों की संख्या हैं। वहीं, मुस्लिम विधायकों की संख्या में भी पिछली बार से इजाफा देखने को मिला है।

बता दें कि यूपी की सियासत में ब्राह्मणों का दबदबा पूरी तरह से काम है। इस बार 403 सीटों में से 52 ब्राह्मण विधायक चुनकर आए हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 46 बीजेपी से हैं जबकि 5 सपा और एक कांग्रेस से जीत दर्ज की है। ऐसे ही 49 विधायक ठाकुर समाज से जीतकर आए है, जिनमें बीजेपी गठबंधन से 43, सपा से 4, बसपा से एक और जनसत्ता पार्टी से राजा भैया हैं।

ओबीसी समुदाय में ज्यादा कुर्मी समुदाय से विधायक
ओबीसी समुदाय में इस बार सबसे ज्यादा कुर्मी समुदाय से विधायक चुने गए हैं जबकि ओबीसी में उनकी आबादी यादव समुदाय से कम है। सूबे में 41 कुर्मी विधायक जीते हैं, जिनमें 27 बीजेपी गठबंधन से, 13 सपा गठबंधन से और एक कांग्रेस पार्टी से जीतकर सदन पहुंचे। वहीं, इस बार यादव विधायक की कुल संख्या सदन में 27 है, जिसमें से 24 सपा और तीन बीजेपी से जीत कर आए हैं.  सूबे में भले ही सपा गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही हो, लेकिन मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ गया।

मुस्लिम विधायकों की संख्या में इजाफा
इस बार मुस्लिम विधायकों की संख्या 34 पर पहुंच गई है, जिसमें 32 सपा से और दो आरएलडी से जीते हैं। वहीं, 2017 के चुनाव में 23 मुस्लिम विधायक ही जीतकर आए थे जबकि इस बार बढ़कर 34 विधायक हो गए हैं। हालांकि, मुस्लिमों की आबादी के लिहाज से ये संख्या कम है।
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