रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- क्लींजिंग थैरेपी के प्रणेता डॉ. पीयूष सक्सेना का कहना है कि निस्संतान दम्पत्ति के लिए भी क्लींजिंग थैरेपी उम्मीद की किरण नहीं बल्कि उम्मीद का वह सूरज है जो चमकता ही है। बस उसके लिए यह जरूरी है कि जांच के बाद पति पत्नी में प्रजनन अंगों से सम्बंधित कोई बड़ी समस्या नहीं हो।                    

डॉ. सक्सेना ने मुरादनगर गंगनहर के नजदीक कल्पतरु आश्रम में चल रहे चार दिवसीय नेचुरोपैथी कैम्प के दौरान महिलाओं के लिए विशेष सत्र के दौरान यह जानकारी सांझा की। उन्होंने बताया कि क्लींजिंग थैरेपी गारंटी देती है कि ऐसे दम्पत्ति इस थैरेपी को अपनाकर महज 100 दिनों में प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण कर सकते हैं।  

इस मौके पर उन्होंने एक मां शिवानी और उसके दो पुत्रों से भी मिलवाया जिस पर उन्होंने सबसे पहले इस थैरेपी का प्रयोग किया था। साथ ही उन्होंने बताया कि अब तक हजारों निस्संतान दम्पत्ति इस थैरेपी को अपनाकर संतान सुख प्राप्त कर चुके हैं। कैम्प की समाप्ति पर सहयोग करने वाले सभी लोगों का सम्मान भी किया गया। इस अवसर संचालन देवेन्द्र हितकारी ने किया। मुख्य संयोजक यशपाल गुप्ता ने सभी को उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं प्रदान कीं।
       
इस मौके पर रिटायर्ड न्यायमूर्ति नारायण सक्सेना एवं रिटायर्ड अधिकारी श्री ठाकुर भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कैम्प में गाजियाबाद  से वीके अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, बीके सिंघल, अनुराधा सिंह , सीमा गोयल, अरुण गोयल, कविता, सरिता गोयल, दिल्ली नोएडा से शिखा शुक्ला, शिवानी, रितु मित्तल पीयूष मित्तल, राहुल सक्सेना, अंकित खन्ना, श्रुति सेहरावत, कमलेश आहूजा, रीटा सतीजा, विनोद त्रिपाठी  उत्तराखंड देहरादून से सरदार सरबजीत सिंह, हल्द्वानी से ललित भट्ट, मुम्बई से संतोष केसरी,खुर्जा से अर्चना तथा संजीव मित्तल , सूरत से जीडी भाटी आदि सैंकड़ों लोगों ने इसका लाभ लिया।
Previous Post Next Post