रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- नगर निगम सीमा अंतर्गत मोहन नगर जोन के वार्ड संख्या 83 राजेंद्र नगर की नवनियुक्त पार्षद कुसुम सिंह को महापौर आशा शर्मा द्वारा नगर आयुक्त की उपस्थिति में शपथ दिलाई गई, तथा शुभकामनाएं प्रेषित की गई।

महापौर द्वारा नवनियुक्त पार्षद को शपथ दिलाने के साथ-साथ माला पहनाई तथा इस अनूठी जीत के लिए शुभकामनाएं व बधाई दी गईं। नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर सहित निगम अधिकारियों ने कुसुम सिंह नवनियुक्त पार्षद को पुष्पगुच्छ देकर शुभकामनाएं दी। कुसुम सिंह नवनियुक्त पार्षद द्वारा क्षेत्र के विकास कार्यों हेतु अधिकारियों से चर्चा भी की।

शपथ के दौरान महापौर कार्यालय में कई वरिष्ठ पार्षद गण भी उपस्थित रहे राजेंद्र त्यागी पार्षद, अनिल स्वामी पार्षद, संजय सिंह पार्षद, सरदार सिंह भाटी पार्षद तथा कई गणमान्य में उपस्थित होकर नवनियुक्त पार्षद कुसुम सिंह को शुभकामनाएं प्रेषित की।


जाने क्या है पूरा मामला
अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश नेत्रपाल सिंह की अदालत ने वार्ड-83 (राजेंद्र नगर) के भाजपा पार्षद आशुतोष शर्मा की सदस्यता को निरस्त कर दिया है। उन्होंने 2017 के चुनाव में नामांकन पत्र में गलत जानकारी दी थी। अदालत ने अपने आदेश में दूसरे स्थान पर रहीं निर्दलीय कुसुम सिंह को पार्षद घोषित करने और चुनाव संपन्न कराने वाले अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई का आदेश भी दिया है।

चार साल चली सुनवाई के दौरान यह साबित हो गया कि आशुतोष का नाम मतदाता सूची में वार्ड - 83 के साथ दिल्ली के विश्वास नगर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज था। नियम के अनुसार नाम एक ही मतदाता सूची में दर्ज होना चाहिए। उन्होंने अपनी संपत्ति का अधूरा ब्योरा दिया था। कुसुम सिंह ने 2018 में इसकी शिकायत चुनाव आयोग में की थी। साथ ही कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में 16 गवाह पेश किए गए। कुसुम सिंह ने याचिका में कहा था कि आशुतोष का निवार्चन शून्य घोषित किया जाए।

बतादे आशुतोष शर्मा ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और कुसुम सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ीं। 26 नवंबर 2017 को चुनाव संपन्न हुआ और तीन दिसंबर 2017 को नतीजे घोषित किए गए। चुनाव परिणाम में आशुतोष को 2229 और कुसुम को 2202 मत प्राप्त हुए। 27 मतों की जीत से आशुतोष शर्मा को पार्षद घोषित कर दिया गया। कुसुम सिंह का कहना है कि कोर्ट के फैसले से वह काफी खुश है। देर से ही सही पर न्याय तो मिला।
जांच कर कार्रवाई के आदेश

कोर्ट ने नामांकन कराने और नामांकन पत्रों की जांच करने वाले तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। कुसुम सिंह की याचिका पर कोर्ट ने तत्कालीन आरओ राजेश कुमार चंदेल को भी पक्षकार बनाया था। राजेश उस समय वाणिज्यकर विभाग में डिप्टी कमिश्नर थे। राजेश की ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल किया जा चुका है।
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