रिपोर्ट :- संजय चौहान

हरिद्वार :- आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश ने पूर्ण उत्साह व जोश के साथ मनाया गया। इसी कड़ी में देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज, आचार्य बालकृष्ण महाराज, पतंजलि परिवार तथा हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग एक साथ तिरंगा यात्रा में शामिल हुए। यह यात्रा पतंजलि योगपीठ-।। से प्रारंभ होकर ग्राम बुडाहेडी से होते हुए ग्राम कासमपुर पर जाकर समाप्त हुई जहां दोनों गांवों में स्थित मदरसों पर स्वामी रामदेव महाराज तथा आचार्य बालकृष्ण महाराज ने ध्वजारोहण किया। 

इस अवसर पर बोडाहेडी ग्रामप्रधान मौलाना रियासत, कासमपुर ग्रामप्रधान मौलाना अनीस तथा समाजसेवी कारी शमीम अहमद के साथ हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए। यात्रा के दौरान पूरा वातावरण भारत माता की जय, वन्दे मातरम के नारों से गूंजायमान रहा। स्वामी महाराज तथा आचार्य ने सभी देशवासियों को देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। कार्यक्रम में स्वामी महाराज ने कहा कि इस यात्रा से मत, धर्म, जाति, सम्प्रदाय के भेद मिटेंगे और हमारा संकल्प है कि आजादी के अमृत महोत्सव से प्रारंभ होकर देश के आजादी के शताब्दी दिवस तक हम देश को विश्व की सर्वोच्च महाशक्ति बनाएँगे। हिन्दु-मुसलमान सब साथ मिलकर चलेंगे। हम भारत की एकता, आपसी सोहार्द, सम्प्रभुता और भाई-चारा जिन्दा रखेंगे। 

कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि इस तिरंगा यात्रा से पूरे विश्व में एकता, अखण्डता, सम्प्रभुता तथा भाईचारे का संदेश जाएगा। जहां एक ओर पूरी दुनिया धर्म व जाति के नाम पर आपसी मतभेद, युद्ध व विनाश की ओर जा रही है वहाँ यह तिरंगा यात्रा आपसी भाईचारे की मिसाल बनेगा। आचार्य ने कहा कि हमारे लिए देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर पतंजलि योगपीठ फेस-। में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम में पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कैपिटल मार्किट, शेयर मार्किट, एफएमसीजी, ऑटो मोबाइल, मोबाइल से लेकर हमारे खेत-खलिहानों पर लगभग 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा है। 

हम चाहते हैं कि आज जब हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो देश की आर्थिक आजादी के बारे में भी हम संकल्प लें कि हम वे ही उत्पाद प्रयोग करेंगे जो स्वदेशी हैं। इससे भारत आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर तो बनेगा साथ ही हमारे रुपए की कीमत जो लगातार गिरती जा रही है उसे भी दृढ़ता मिलेगी। मेरा सपना तो यह है कि देश का रूपया, डॉलर और पौण्ड की कीमत बराबर हो जाएं। शिक्षा की आजादी के लिए हमारे देवतुल्य राष्ट्रऋषि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर आजादी के 75 वर्षों के बाद एक बहुत बड़ा काम किया है। इससे 1837 से चली आ रही मैकाले की शिक्षा पद्धति का अंत होगा तथा भारतीय शिक्षा बोर्ड व पतंजलि विश्वविद्यालय के माध्यम से शिक्षा में अभिनव क्रांति होगी जिससे संस्कार, योग, अध्यात्म आधारित शिक्षा का सूत्रपात होगा। 

स्वामी जी ने कहा कि नवविज्ञान, तकनीकि का समावेश करते हुए श्रेष्ठतम मॉडर्न एजूकेशन देते हुए हम विद्यार्थियों को संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास भी सिखाएंगे और सांस्कृतिक मूल्यों का बोध भी कराएंगे। इससे हम एक बहुत दिव्य भव्य स्वरूप प्रस्तुत करेंगे। स्वदेशी शिक्षा व चिकित्सा के विषय में उन्होंने कहा कि शिक्षा व चिकित्सा की आजादी का आंदोलन हम जारी रखेंगे। अंग्रेजी पैथी से मुझे कोई विरोध नहीं है किन्तु निजता का स्वाभिमान हमारे भीतर है। हम पतंजलि योगपीठ, पतंजलि वैलनेस के माध्यम से योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और सनातन जीवन पद्धति पर चलते हुए इस दुनिया को निरोगी करेंगे।

कार्यक्रम में पूज्य आचार्य जी ने कहा कि आजादी के पावन अवसर पर जहां पूरा देश आज उत्सव मना रहा है वहीं पतंजलि परिवार भी इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। स्वामी महाराज के आह्वान पर आज कई मदरसों में ध्वजारोहण किया गया। जो मां-बेटी घर की चार दीवारों से बाहर नहीं निकलती थी, वह सभी भी हाथों में तिरंगा लेकर सड़कों पर वंदे मातरम के नारे लगाते दिखाई दी। यह जज्बा है पूज्य स्वामी जी के आह्वान का तथा देश के प्रति उनके प्यार का। आज हम सबको अपने राष्ट्र के उत्थान के प्रति संकल्पित होना होगा, क्योंकि हम सभी इस माटी के कण-कण से, उसकी संवेदनाओं से जुड़े हुए हैं। यही वह कारण है जो हम अपनी मात्रभूमि की आराधना करते हैं। 

पतंजलि शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त कर रहे नन्हें छात्र से लेकर व्यस्क छात्रों तक सभी में यह भावना जागृत होनी चाहिए कि वह किस प्रकार से राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग कर सकता है। आज हमें उन सभी शहीदों को, सभी क्रांतिकारियों को नमन करना चाहिए जिन्होंने अपनी भरी जवानी को इस देश के लिए कुर्बान कर दिया। उनकी इस आहूति को देश कभी भी भुला नहीं सकता। आज के दिन को उनकी आहूति को स्मरण दिवस के रूप में भी याद करना चाहिए। 

इस अवसर पर आचार्यकुलम् की निदेशिका बहन ऋम्भरा शास्त्री, क्रय समिति अध्यक्षा बहन अंशुल, संप्रेषण विभाग प्रमुख बहन पारूल, मुख्य महाप्रबंधक ललित मोहन, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति महावीर, सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थ देव, स्वामी विदेहदेव, स्वामी अर्षदेव, पतंजलि विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार बहन प्रवीण पुनिया, डिप्टी रजिस्ट्रार निर्विकार, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा. अनुराग वार्ष्णेय सहित पतंजलि से सम्बद्ध सभी संस्थानों के अधिकारी, कर्मचारी, पतंजलि शिक्षण संस्थानों के प्राचार्यगण, छात्र-छात्राएं, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे।
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