◼️डीएवी स्कूल प्रशासन प्राइवेट ट्रेवल्स एजेंसियों से बस किराये पर लेकर बच्चों के जीवन से कर रहा खिलवाड़



रिपोर्ट :- संजय चौहान

उत्तराखण्ड :- हरिद्वार लक्सर रोड़ ‌जगजीतपुर स्थित डीएवी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों में शनिवार को उस वक्त आक्रोश पैदा हो गया जब उनके बच्चे स्कूल की छुट्टी के दो घंटे बाद अपने घर एक खस्सताहाल बस के खराब होने के कारण देरी से पहुंचे, हालांकि यह समस्या कोई नई नहीं थी, इससे पूर्व भी डीएवी स्कूल की खस्सताहाल बसों में बच्चों को ठूंस-ठूंसकर ले जाया जाता रहा है, जिसकी शिकायत पूर्व में अ‌भिभावकों द्वारा एआरटीओ हरिद्वार से की गयी थी, ‌जिसमें चैकिंग के दौरान कई खामियां भी पायी गयीं थी। पूर्व में रहे एआरटीओ ने चालान की कार्रवाई करते हुए उक्त बस को सीज कर दिया था और चेतवानी दी थी कि यदि भविष्य में इस प्रकार की पुर्नवृत्ति हुई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन उसके बावजूद भी स्कूल प्रशासन नहीं चेता जिसका परिणाम स्कूली बच्चों व अभिभावकों को मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान होकर भुगतना पड़ रहा है और डीएवी स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते आज अभिभावक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

बताते चलें कि हरिद्वार लक्सर रोड़ ‌जगजीतपुर स्थित डीएवी स्कूल की लगभग 8 से 9 बचें संचालित हो रही हैं, वहीं स्कूल प्रशासन ने बसों की कमी के चलते ट्रेवल्स एजेंसियों से बसें किराये पर हायर की हुई हैं। नतीजतन सुरक्षा के दृष्टिगत जो मानक एवं सुविधाएं बसों में होनी चाहिए वह नहीं है। अ‌भिभावक गौरव शर्मा, अनुराग शर्मा, सूरज अरोड़ा, कपिल अरोड़ा, विष्णु शर्मा, रामनाथ, वीरेन्द्र‌ शर्मा, संजय चौहान, विजय कुमार, राजेश, मिंटू, महेश, नेहा गुप्ता, रोहिनी, शालू आदि ने बताया कि आज शनिवार को बच्चों की छुट्टी के समय बस नंबर 13 खराब हो गयी थी, जिसकी सूचना स्कूल प्रबंधन द्वारा नहीं दी गयी। जब हमारे बच्चे समय से घर नहीं पहुंचे तो हमने स्कूल में फोन पर जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि बस खराब है। जब ठीक होगी आपके बच्चे घर पहुंच जाएंगे। बच्चे करीब दो घंटे देरी से पहुंचे। 

अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रशासन ने कुछ प्राईवेट ट्रेवल्स एजेंसियों के माध्यम से बसे हायर की हुई हैं, जो खस्ताहाल व खटारा हो चुकी हैं। इतना ही नहीं रोजाना बसें बदल-बदलकर बच्चों को लेने व छोड़ने आती हैं, जिनके ड्राईवर व क्लीनर सहित अन्य स्टाफ भी बदला हुआ होता है। स्कूल प्रबंधन द्वारा दिए गए ट्रांस्पोर्ट इंचार्ज रमेश सिंह रावत के नंबर पर जब बात की गयी तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना जबाव देकर फोन काटते हुए कहा कि आप स्कूल के प्रिंसिपल से बात कीजिए। जब स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल मनोज शर्मा से बात की गयी तो उन्होंने शहर से बाहर होना बताया। वहीं, जब इस मामले की शिकायत हरिद्वार एआरटीओ रश्मि पन्त से की गयी तो उन्होंने जांच कराने का आश्वासन दिया। बहरहाल इस प्रकार के स्कूल प्रशासन के रवैये के चलते अभिभावनों में खासा रोष व्याप्त है।
मानकों के अनुसार बसों में फस्टएड बॉक्स, केमरा, शीशे की खिड़की के बाहर लोहे की ग्रिल। स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम होना जरूरी है, ताकि अभिभावकों को बच्चों की लोकेशन की पूरी और सही जानकारी हर मिनट मिल सके। 

स्कूल बस में लगा स्पीड मीटर हर छह महीने में अपडेट होना चाहिए, इसी के साथ स्कूल बस का परमिट होना अनिवार्य है। फिटनेस की जांच एवं पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही बस में सुरक्षा से संबंधित मानकों एवं सीट की व्यवस्था वाहन का शैक्षणिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना आवश्यक है। निजी संचालक भी अपने वाहन को स्कूल मानक के अनुसार पंजीकरण कराकर स्कूल बस के रूप में प्रयोग करने के नियम हैं। बसों को स्कूल में संचालन के लिए कांट्रैक्ट कैरिज का परमिट लेना आवश्यक है। प्रत्येक स्कूल बस के आगे व पीछे मोटे अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना चाहिए। 

स्कूल में अनुबंधित बसों पर आगे व पीछे बडे़ अक्षरों में ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना जरूरी है। वहीं, सरकार ने भी परिवहन अधिकारियों को निर्देशित किया हुआ है कि स्कूली बस के जो मानक तय हैं उनका सत्यापन किया जाए। बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता न होने पाए। यहां तक कि ड्राइवरों के ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के समय उसके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को भी देखा जाए तथा गहन टेस्ट लेकर ही नवीनीकरण किया जाएगा। बस में बच्चों की सूची, नाम, कक्षा, पता सहित कक्षा, ब्लड ग्रुप चार्ट रूप में उपलब्ध रहे। प्रत्येक स्कूल बस में चालक के अलावा यथा स्थिति अनुभवी व्यक्ति या महिला सहायक तैनात रहेंगे, जो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रख सकें। स्कूल बस के चालक तथा सहायक को ड्यूटी के समय निर्धारित ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा। स्कूल बस का रंग गोल्डन यलो विथ ब्राउन, ब्लू लाइनिंग होना चाहिए। 

स्कूल बसों की अधिकतम आयु 15 वर्ष होगी। बस में अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो। आपातकाल परिस्थिति में बस का चालक अथवा सहायक स्कूल प्रशासन को सूचित करेगा, लेकिन ट्रेवल्स एजेंसी से हायर की हुई बसों में इस प्रकार के कोई नियम व मानकों के अनुसार बसें संचालित नहीं हो रही हैं, जिससे कई सवाल स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली सुरक्षा एवं सुविधाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
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