रिपोर्ट :- विकास शर्मा

उत्तराखण्ड :- हरिद्वार रेलवे रोड चित्रा टॉकीज व ललताराव पुल से अतिक्रमण के नाम से उजाड़ें गए लघु खोखा व्यापारी हरिद्वार प्रशासन की उपेक्षा के चलते सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के उपरांत भी दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं।                      
हरिद्वार प्रशासन द्वारा रेलवरोड के 100 से अधिक खोखा लघु व्यापारियों को प्रशासन ने कुंभ मेला 2010 में अतिक्रमण की आड़ में हटा दिया गया था। हरिद्वार प्रशासन के खिलाफ लघु व्यापारियों द्वारा संगठित होकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हरिद्वार प्रशासन को बिना विकल्प के लघु खोखा व्यापारियों को ना हटाने का आदेश दिया गया था। 

प्रशासन द्वारा न्यायालय के आदेशों के उपरांत भी बिना विकल्प दिए अतिक्रमण की आड़ में लघु व्यापारियों को उजाड़ा गया। जिसके विरोध में लघु व्यापारियों ने धरना प्रदर्शन किए इसके विपरीत प्रशासन द्वारा बदले की कार्रवाई करते हुए लघु खोखा व्यापारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कर व्यापारियों का उत्पीड़न किया गया। 7 वर्षों के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए वैकल्पिक व्यवस्था के आदेश होने के उपरांत भी निगम प्रशासन आज तक लघु व्यापारियों के लिए वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था नहीं करा पाया है। 

आज भी हरिद्वार प्रशासन उच्च न्यायालय के आदेशों की आड़ में गुमराह कर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर लघु खोखा व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहा है। हरिद्वार प्रशासन की उपेक्षा के चलते क्या इन 100 से अधिक इन लघु खोखा व्यापारियों को न्याय मिल पाएगा। लघु व्यापारी नेता चोखे लाल, दीपक अरोड़ा, मंगल सेन, आदि अन्य लघु व्यापारियों ने केंद्र व राज्य सरकार से इस विषय को गंभीरता से निराकरण की मांग की है।
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