रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक/ राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से पूजा करने वाले व्यक्ति को इच्छानुसार फल भी मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा करता है उसके धन और समृद्धि का लाभ होता है और परिवार में खुशहाली रहती है। इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग को अर्पित करते हैं। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। 
इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। 

ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की। जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। हनुमान मंगलमय परिवार संयुक्त रूप से गोवर्धन की पूजा करते हुए।
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