डॉ बीपी त्यागी, वरिष्ठ सर्जन



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गाज़ियाबाद :- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि IDIOT Syndrome का मतलब है Internet Derived Information Obstructing Treatment (IDIOT). डॉक्टरी भाषा मे इसे Obsessive Compulsive Neurosis कहा जाता है। ये एक प्रकार का ओसीडी (Obsessive Compulsive Disorder) है। मौजूदा समय में लोगों को इंटरनेट इस्तेमाल करने की लत सी लग गई है। देखने को मिलता है यदि इस लत से ग्रसित व्यक्ति इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करता है तो चिंता (Anxiety) होने लगती है। यदि इस लत से ग्रसित व्यक्ति हमारे पास किसी बीमारी के इलाज के लिए आता है और उसे इलाज का ट्रीटमेंट बताया जाता है कि वह व्यक्ति घर जाकर उस ट्रीटमेंट को इंटरनेट से टेली कर अनुमान लगाता है कि क्या डॉक्टर ने उसकी सही ट्रीटमेंट या बीमारी की सही डायनोसिस की है।

डॉ त्यागी बताते हैं कि उदाहरण के तौर पर किसी मरीज के गर्दन पर एक सेंटीमीटर से बड़ी गांठ है। यदि वह मरीज इंटरनेट पर गर्दन की गांठ को ढूंढेगा और उसके पीछे का कारण ढूंढेगा या किस कारण गांठ बनी है उसका पता लगाने का प्रयास करेगा तो इंटरनेट पर सीधे तौर पर उस गांठ को कैंसर बताया जाएगा। जबकि गांठ किसी इन्फेक्शन या टीबी की भी हो सकती है।

उन्होंने बताया इंटरनेट पर जब व्यक्ति किसी छोटी सी परेशानी को बड़ी बीमारी के रूप में पढ़ लेता है तो उसको चिंता (Anxiety) होने लगती है. अंत में वे व्यक्ति डॉक्टर के पास वापस लौटता है और बताता है कि मुझे तो कैंसर होने का अंदेशा है। कई बार देखने को मिला है कि इस तरह के मरीज हम पर विभिन्न प्रकार के मेडिकल टेस्ट बनाने का दबाव बनाते हैं। जिनकी जरूरत नहीं होती लेकिन फिर भी मरीज की संतुष्टि के लिए मेडिकल टेस्ट लिखने पड़ते हैं. कई बार देखने को मिला है कि मरीज बिना डॉक्टर से सलाह लिए ट्रीटमेंट तक रोक देते हैं।

डॉ त्यागी बताते हैं कि सरल भाषा मे इसे Cyberchondriasis कहते हैं। तकरीबन 40 से 45% मरीजों में हमें Cyberchondriasis देखने को मिलती है. ऐसे लोग बीमारी, उसके ट्रीटमेंट और डॉक्टर द्वारा इलाज के लिए दी गई दवाइयों के बारे में इंटरनेट पर काफी अधिक सर्च करते हैं. डॉक्टर द्वारा लिखी गई एक दवाई सिर्फ एक ही नहीं बल्कि कई बीमारियों यह स्वास्थ संबंधी समस्याओं को ठीक करने में इस्तेमाल होती है. यदि मरीज उस दवाई के बारे में इंटरनेट पर ढूंढता है और उसे मिलता है की यह दवाई अन्य बीमारियों के उपचार में भी इस्तेमाल होती है तो उसे लगता है कि वह शायद अन्य बीमारियों से भी ग्रसित है. जिससे उसकी चिंता और बढ़ जाती है। साथ ही मरीज इन्टरनेट पर बीमारी के लक्षण पढ़ के खुद को उस बीमारी से ग्रसित समझ लेते हैं।
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