रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- शनिवार को होने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस माह  5 नवंबर 2022  शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। शनिवार को शाम 17:06 तक के द्वादशी तिथि है और उस दिन सूर्यास्त 17:30 बजे होगा  अर्थात सूर्य उदय से पहले यह द्वादशी तिथि समाप्त हो रही है इसलिए प्रदोष व्रत शनिवार को ही मनाया जाएगा।

हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं । प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और शनि प्रदोष व्रत तो संतान प्राप्ति के निमित्त किया जाने वाला व्रत है इस दिन भगवान शिव की पूजा करें ।संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें। प्रदोष व्रत की पूजा 5:06 से आरंभ  होगी। इसमें भगवान शिव की प्रतिमा मां पार्वती सहित स्थापना करके विशिष्ट मंत्रों से अथवा उनकी आरती और प्रदोष कथा पढ़े तथा शंकर भगवान की पूजा करें। प्रसाद ,फल, मिष्ठान ,नैवेद्य आदि से भगवान शिव का भोग लगाएं।

शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है। किसी नगर में सेठ और सेठानी रहा करते थे। काफी संपत्ति ,धन सम्पत्ति उसके पास थी। नौकर चाकर थे ,किंतु उसके संतान नहीं थी ।वे हमेशा दुखी थे और संतान प्राप्ति कीचिंता करते थे। अंत में सोचा कि संसार नाशवान है ईश्वर की पूजा, ध्यान और तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया जाए। वे अपने सारा कार्य विश्वस्त सेवकों को सौंप कर तीर्थ यात्रा के लिए  चल दिए। गंगा किनारे  एक सन्त तपस्या करे थे। सेठ ने विचार किया कि  तीर्थ यात्रा करने से पहले इन सन्त का आशीर्वाद ले लिया जाए और वह कुटिया में संत के समक्ष ही बैठ गए । संत ने आंखें खोली और उनके आने का कारण पूछा।

सेठ दंपत्ति ने संत को प्रणाम किया। पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा । संत ने  कहा शनि प्रदोष का व्रत कीजिए। भगवान शिव की आशुतोष के रूप में प्रार्थना करो । तुम्हारी इच्छा शीघ्र ही पूरी होगी। वे दोनों संत का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रणाम करके तीर्थ यात्रा पर निकल गए। उसके पश्चात जब घर लौटे तो शनि प्रदोष का बड़ी श्रद्धा के साथ व्रत किया और भगवान शिव की पूजा की उसके प्रभाव से सेठ दंपत्ति को पुत्र संतान की प्राप्ति हुई। संतान के इच्छुक दंपत्ति शनि प्रदोष का व्रत करके अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं।
संतान का ना होना ,संतान की तरक्की न होना, संतान के पढ़ाई में बाधा आदि दोषों को दूर करने के लिए  शनि प्रदोष का व्रत सफलता देने वाला  है।


आचार्य शिव कुमार शर्मा, अध्यक्ष- शिवशंकर ज्योतिष एवं वास्तु  अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद
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