रिपोर्ट :- विकास शर्मा

उत्तराखण्ड/हरिद्वार :- प्रसिद्ध संत श्री टाट वाले बाबा जी की पुण्य स्मृति दिवस पर  गंगा तट उनके समाधि स्थल बिरला घाट स्थित तीन दिवसीय 33 वे वार्षिक वेदांत सम्मेलन का आयोजन किया गया। श्री टाट वाले बाबा जी की पुण्यतिथि अवसर पर उनकी पुण्य समाधि स्थल पर गुरु चरण अनुरागी समिति के नेतृत्व में जिसमें सफल संचालन डॉ एसके बत्रा तथा कार्यक्रम का संयोजन रचना मिश्रा द्वारा किया गया। सम्मेलन में प्रमुख संतों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी दिनेश दास ने कहा कि गुरु चरणों से ही शक्ति मिलती है और गुरु चरणों से ही ज्ञान का बोध होने लगता है। युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की ध्वजा को फैलाने का कार्य करना चाहिए और वर्तमान में गुरु परंपरा को आगे बढ़ाने का दायित्व भी युवा पीढ़ी के कंधे पर है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी हरिहरानंद ने कहा कि टाट वाले बाबा परमात्मा का साकार स्वरूप हैं। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरु हैं। वेद कहते हैं कि ज्ञान की ओर बढ़ो भय, क्रोध, चिंता, आवेश आदि उर्जा है। लेकिन इसे स्थानांतरण कर प्रेम में परिवर्तन कर प्रभु चरणों में अपने आप को अर्पित करना चाहिए। उन्होंने कहा गुरु की महिमा इस दोहे से साकार होती है कि '"हरि रूठे तो ठौर है गुरु रूठे तो ठौर नहीं।"।                          

बाबा हठयोगी ने इस अवसर पर कहा कि सनातन धर्म की सभी क्रियाओं जैसे कीर्तन, हवन, करतल ध्वनि, आरती, तिलक आदि सभी मे वैज्ञानिक तथ्य समाहित है। बाबा जी के शिष्य स्वामी विद्यानंद ने वेदांत चर्चा में कहा कि यदि उपनिषद नहीं होते तो मानवता सदा अंधकार में रहती। मृत्यु का भय सबसे बड़ा है जिसे ज्ञान के द्वारा ही मुक्ति पाई जा सकती है। माता संतोष बहन रैना ने भजन के माध्यम से टाट वाले बाबा के श्री चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।अंत में आरती एवं भोग प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बाबा के कई भक्तगण मौजूद रहे।
Previous Post Next Post