रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बी के शर्मा हनुमान द्वारा क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ अशोक राणा का उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने पर अंग वस्त्र, रुद्राक्ष की माला, स्मृति चिन्ह, शॉल, ओढ़ाकर सम्मान किया। इस अवसर पर डॉ अशोक राणा ने कहा कि भारत का आयुर्वेद हजारों वर्ष पुरानी और अति लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति है।

‘आयुर्वेद’ संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘आयुर या जीवन’ और ‘वेद या ज्ञान’. दरअसल, जीवन का ज्ञान ही आयुर्वेद है जिसमें मानव की सभी शारीरिक और मानसिक बीमारियों से रक्षा की जाती है ताकि मनुष्य लंबी आयु तक स्वस्थ जीवन जी सके. आयुर्वेद के मुताबिक हमारे शरीर में 03 एलिमेंट्स की प्रधानता है – वात, पित्त और कफ़ और हमारे शरीर में इन तीनों ही एलिमेंट्स का प्राकृतिक संतुलन बना रहना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रह सकें और अगर इन तीनों एलिमेंट्स में से कोई भी एलिमेंट हमारे शरीर में कम या ज्यादा हो जाए तो हमें बीमारी लग जाती है। बहुत बार ये बीमारियां जानलेवा भी होती हैं।

प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि हमारे देश में आयुर्वेद से संबंधित सभी कोर्सेज आजकल औपचारिक मेडिकल एजुकेशन का प्रमुख हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन आयुर्वेद की शुरुआत से ही भारत में इसकी शिक्षा अनौपचारिक तौर पर दी जाती रही है. पूरी दुनिया में आयुर्वेद की मेडिसिन्स ने अपनी पहचान बना ली है क्योंकि आयुर्वेद मेडिसिन के साइड इफेक्ट्स तो नहीं होते और आयुर्वेद द्वारा लाईलाज बीमारियों का ईलाज भी हो सकता है. आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर्स को वैद या हकीम के नाम से जाना जाता है।
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