रिपोर्ट :- विकास शर्मा

उत्तराखण्ड :- राज्य केजोशीमठ में प्राकृतिक आपदा के कारण  हुए भू धंसाव तथा मकान में दरारों की घटना ने जहां क्षेत्र के लोगों के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं इस घटना ने पर्यावरणविंदो को गहरी चिंता में डाल दिया है। सर्वेक्षण के अनुसार नैनीताल, उत्तरकाशी व चंपा वत शहर भी भूधंसाव के लिए अति संवेदनशील माने जा रहे हैं।                                                                    
इस आपदा में अब तक 678 मकानों में दरारे आ चुकी है। जोशीमठ प्रशासन द्वारा आपदा में क्षतिग्रस्त मकानों को चिन्हित किया जा रहा हैं। आपदा ग्रस्त मकानों में प्रशासन द्वारा लाल निशान लगाकर उन्हें खाली कराया जा रहा है। अब तक लगभग 80 से अधिक परिवारों को राहत शिविरों तथा विस्थापित केंद्रों पर भेजा गया है। जोशीमठ के लोग एवं पर्यावरणविद् जोशीमठ के नीचे अलकनंदा/धौलीगंगा पर बन रहे पावर प्रोजेक्ट की टनल को इस हालात के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।

पावर प्रोजेक्ट केंद्र के हों या राज्य के गंगा पर बन रहे पावर प्रोजेक्ट व अन्य सड़क परियोजनाओं को इन पहाड़ी प्राकृतिक आपदाओं का प्रमुख जिम्मेदार माना जा रहा है। भू वैज्ञानिकों के अनुसार इन प्रोजेक्टों पर गहन अध्ययन के साथ प्राकृतिक संतुलन का विशेष ध्यान रखें जाना आवश्यक है। जोशीमठ आपदा के लिए विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा राहत सामग्री भेजने का सिलसिला आरंभ हो गया है। इसी कड़ी में पतंजलि योगपीठ द्वारा दो ट्रक राहत सामग्री जोशीमठ के लिए रवाना की गई है। अन्य संस्थाएं भी इस दिशा में अपना योगदान दे रही हैं।
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