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गाजियाबाद :- इस दिन है अबूझ विवाह मुहूर्त
इस वर्ष बसंत पंचमी 26 जनवरी सन 2023 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी । गुरुवार को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र होने से छत्र योग बनता है।  इस दिन शिव योग भी बन रहा है। छत्र और शिव महा योग में  सरस्वती जी का किया जाने वाला पूजन, यज्ञ आदि कर्म पूरे वर्ष के लिए शुभ होते हैं। विद्यालयों, शिक्षण संस्थानों में हर वर्ष सरस्वती पूजन व यज्ञ किये जाते हैं और सरस्वती मां के आशीर्वाद के साथ विद्या ,विवेक और बुद्धि का आशीर्वाद  भी प्राप्त करते हैं।
इस दिन राष्ट्र का 74 वां गणतंत्र दिवस भी मनाया जाएगा। ऐसा संयोग कभी-कभी आता है।

74 वा गणतंत्र दिवस बड़े ही शुभ योग में मनाया जाएगा इससे राष्ट्र की सामरिक शक्तियों में वृद्धि होगी। शासन व्यवस्था दृढ़ रहेगी और विश्व में भारत का परचम लहराएगा।
वैवाहिक के मुहूर्त की दृष्टि से यह दिन अबूझ विवाह मुहूर्त होता है ।जिसमें बहुत सी शादियां होती हैं।
बसंत पंचमी  यद्यपि अबूझ विवाह मुहूर्त है किंतु इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र   होने से यह वैवाहिक मुहूर्त  बहुत शुभ हो गया है।

वसन्त पंचमी उत्सव को प्राचीन काल में कुमुद उत्सव के रूप में मनाया जाता था । क्योंकि इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है प्रकृति में बदलाव होता है। पेड़ों पौधों में नव नव पल्लव आने शुरू हो जाते हैं और  खेतों में  नवीन फसल के संकेत मिलने लगते हैं। सरसों के फूल खिले लगते हैं।
ऐसे सुंदर मौसम को प्राचीन काल में मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता था।
*सरस्वती पूजन के लिए शुभ मुहूर्त*
 प्रातः काल  8:13 बजे  से 9:41 बजे तक कुंभ लग्न (स्थिर लग्न)
 उसके पश्चात 11: 36 बजे से 12:24 बजे बजे तक अभिजीत मुहूर्त
12:42 बजे से 14:38 बजे तक वृषभ लग्न ( स्थिर लग्न )
तीनों ही मुहूर्त  सरस्वती पूजन के लिए बहुत ही शुभ है। स्थिर लग्न में पूजा अपने साधक को पूर्ण लाभ देती है।
*विद्यार्थियों को पूजा कैसे करनी चाहिए*
 विद्यार्थियों को प्रात: काल उठकर स्नान के पश्चात श्वेत अथवा पीत वस्त्र धारण करें, मां सरस्वती के चित्र के समक्ष सफेद पुष्प और पीला मिष्ठान चढ़ाएं और मां सरस्वती से विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद लें।
*या कुंदेंदुतुषारहारधवला*,
* *या शुभ्रवस्त्रावृता*।
*या वीणा वर दण्डमण्डित करा*,
 *या श्वेत पद्मासना*।
*या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि:*
*देवै: सदा वन्दिता*।
  *सा मां पातु सरस्वती भगवती*,
*नि:शेषजाड्यापहा*।।
मां सरस्वती के इस श्लोक से मां का ध्यान करें उसके पश्चात्
  *ओम् ऐं सरस्वत्यै  नमः*
 का जाप करें और इसी लघु मंत्र को नियमित रूप से आप अर्थात विद्यार्थी वर्ग प्रतिदिन कुछ समय निकाल कर के इस मंत्र से मां सरस्वती का ध्यान करें । इस मंत्र के जाप से विद्या बुद्धि विवेक बढ़ता है।
 
आजकल वसंतोत्सव का रूप बदल दिया गया है ।वसंतोत्सव के स्थान पर आजकल के युवा वैलेंटाइन डे मनाते हैं जो भारतीय संस्कृति के बिल्कुल भी अनुरूप नहीं है ।अपनी संस्कृति के अनुरूप बसंत पंचमी सबसे प्राचीन त्यौहार है ।इसलिए हमें पाश्चात्य देशों की नकल न करके अपनी संस्कृति पर गर्व करें। वसंतोत्सव नवीन ऊर्जा देने वाला उत्सव है। शिशिर ऋतु के असहनीय सर्दी से मुक्ति मिलने का मौसम आरंभ हो जाता है। प्रकृति में परिवर्तन आता है और जो पेड़ पौधे शिशिर ऋतु में अपने पत्ते खो चुके थे। पुनः नव नव पल्लव और कलियों से  युक्त हो जाते हैं। खेतों में सरसों के फूल इस पर्व की बसंती आभा को बढ़ा देते हैं। यह उत्सव माघ शुक्ल पंचमी से आरंभ होकर के होलिका दहन तक चलता है कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन जैसा मौसम होता है वैसा पूरे होली तक ऐसा ही मौसम रहता है।

इस दिन से गांव गांव में बालक  और युवा होलिका की स्थापना करके रोजाना उस पर लकड़ी उपले आदि की व्यवस्था करते रहते हैं । और होलिका दहन के समय तक यह क्रम चलता रहता है।

पंडित शिवकुमार शर्मा' आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिष रत्न
अध्यक्ष- शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद
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