◼️स्वयं भी कर सकते हैं भगवान शिव का रुद्राभिषेक

कब होगा शिवरात्रि का गंगाजल से अभिषेक जानिए पं.शिवकुमार शर्मा से



रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- 4 जुलाई से श्रावण का महीना आरंभ हो रहा है जो 31 अगस्त तक चलेगा। अर्थात इस बार 59 दिन का श्रावण का महीना होगा। इसमें एक मासअधिक मास होगा, इसे पुरुषोत्तम मास कहते हैं। सावन का महीना भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। इस मास में शिव की पूजा करने से भगवान आशुतोष शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

इस बार सावन में आठ सोमवार है।
सोमवार का दिन भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इसलिए शिव मंदिरों में  काफी संख्या में भक्त लोग आकर शिवलिंग पर अभिषेक करते  हैं। सामान्य रूप से भगवान शिव को जलाभिषेक , दुग्ध अभिषेक ,गंगाजल से अभिषेक तथा दूध, दही ,शहद आदि पंचामृत से भी अभिषेक करते हैं।जनसाधारण इसी प्रकार से भगवान शिव को अभिषेक करके प्रसन्न करते हैं। भगवान शिव की आरती,ॐ नमः शिवाय का जाप ,महामृत्युंजय जाप करते हैं। उपरोक्त प्रकार से भगवान शिव को भावनात्मक रूप में प्रसन्न कर सकते हैं।
कुछ भक्तगण इन दिनों विद्वानों के द्वारा रुद्राभिषेक का भी आयोजन कराते हैं। इसमें भगवान शिव का रुद्राभिषेक रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों से होता है। भगवान शिव का श्रृंगार होता है ।आरती पूजन और हवन होता है एक लंबी प्रक्रिया है।

यदि आप चाहते हैं कि आप स्वयं ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें तो उसके लिए भी सरल उपाय इस प्रकार से हैं

सबसे पहले तो यह बताऊंगा कि  सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक कभी भी कर सकते हैं। विशिष्ट रूप से सोमवार का दिन, शिवरात्रि, अमावस्या,नाग पंचमी को भी भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना  अत्यंत शुभ फलदायक है। सबसे पहले भगवान शिव की पूजा के लिए वस्तुएं पहले से तैयार रखें। जैसे जल ,गंगा जल, दूध ,दही ,शहद, शक्कर , बेल के पत्ते, भस्म ,धतूरे के फल ,पीला चंदन तथा भोग लगाने के लिए मिष्ठान अथवा फल आदि। इसके अतिरिक्त पान, फूल, रोली, चावल, कलावा आदि भी रखते हैं।
रुद्राभिषेक वैसे तो मंदिरों में होता है। लेकिन  कुछ भक्तगण अपने घरों पर ही शिवपूजा करते हैं।  आप घर पर इस विधि भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं।

सबसे पहले प्रातकाल उठकर के प्रातः कालीन क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद उपरोक्त सामान इकट्ठा कर ले। घर के मंदिर में अथवा किसी कक्ष में पटरा व चौकी बिछाएं। उस पर लाल वस्त्र बिछाकर शिव परिवार स्थापित करें।एक पटरे पर एक  थाली या परात में भगवान  शिवलिंग स्टैंड पर स्थापित करें । घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग, पारद के शिवलिंग अथवा स्फटिक के शिवलिंग स्थापित करके पूजन करें। उसके पश्चात  भगवान शिव को प्रणाम करते हुए उनका परिवार सहित आह्वान करें। सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करें। गणेश चालीसा ,गणेश जी का मंत्र पढ़कर के गणेश जी के आह्वान करने के पश्चात शिव परिवार का आह्वान करें।

भगवान शिव को कलावे का आसन दें। उसके पश्चात गंगाजल मिश्रित जल और दूध भगवान शिवलिंग पर चढ़ाएं। यद्यपि रुद्राष्टाध्यायी के पाठ से रुद्राभिषेक करने का विधान है।  किंतु आप  भगवान शिव के मंत्र ओम् नमः शिवाय का निरंतर जाप करते हुए जल की धार बनाकर चढ़ाते रहें। जल चढ़ाने के पश्चात भगवान शिव को साफ करें। उनको अलग थाली में रखकर आसन आदि के पश्चात चंदन का तिलक लगाएं ।ध्यान रखें शिव परिवार के सभी सदस्यों का तिलक रोली से करें और शिवलिंग पर चंदन का लेपन करें।
उसके पश्चात पंचामृत से स्नान कराएं या  अलग-अलग दूध ,दही शहद, घी, शक्कर आदि से स्नान कराएं अथवा सब को मिलाकर एक साथ ही स्नान करा सकते हैं।
तत्पश्चात भगवान को बेलपत्र चढाएं। बेलपत्र पर राम का नाम अवश्य लिखें। बेलपत्र की संख्या कम से कम पांच 27,54 अथवा 108 होनी चाहिए।

भस्म, धतूरा आदि का भी उनको अर्पण करें ।फल, मेवा और मिष्ठान के द्वारा भी उनका भोग लगाएं ।तत्पश्चात शिव चालीसा, ओम नमः शिवाय , महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। आरती करें इस प्रकार से सामान्य लोग भी भगवान शिव को घर पर ही रुद्राभिषेक कर सकते हैं। जो व्यक्ति विद्वानों द्वारा रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं वे भी रुद्राष्टाध्यायी के नियमानुसार पूजा करा सकते हैं। शास्त्रों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न कामनाओं के लिए अलग-अलग वस्तुओं से स्नान कराने का विधान भी हैं। गंगा जल, जल और दूध से स्नान कराने से घर में सुख शांति प्राप्त होती है।
पंचामृत से स्नान कराने से आरोग्य स्वास्थ्य और सुख मिलता है। गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से धन-संपत्ति लक्ष्मी वृद्धि होती है। घी से अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति और स्वास्थ्य बढ़ता है। बेलपत्र चढ़ाने से व्यक्ति धनवान बनता है
 नारियल पानी से अभिषेक करने पर शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। दाल मसूर भगवान को अर्पण करने से कर्जे से मुक्ति मिलती है। जौ को भगवान को अर्पित करने से संतान सुख होता है। शहद से भगवान शिव को अभिषेक करने से सम्मान, प्रतिष्ठा और शांति मिलती है। इत्र आदि सुगन्धित द्रव्यों से अभिषेक करने से मानसिक तनाव व डिप्रेशन दूर होता है। सरसों के तेल से अभिषेक क करने के लिए शनि की साढ़ेसाती ,महादशा शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

इस बार शिवरात्रि 15 जुलाई को है। चतुर्दशी शाम 8:32 पर आएगी ।उसके पश्चात कावड़ियों द्वारा भगवान शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक होगा और 15 जुलाई को ही शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।


आचार्य शिव कुमार शर्मा ,आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य
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