◼️6 सितंबर की रात्रि को वहीं योग बन रहे हैं, जो भगवान कृष्ण के प्राकटय के समय बने थे



सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाजियाबाद :- कथा व्यास पंडित विष्णु दत्त सरस ने कहा कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वहीं पंचायोग बन रहे हैं, जो 5249 वर्ष पहले भगवान कृष्ण के प्राकटय के अवसर पर बने थे। ऐसे में सभी लोगों को इस पंचायोग का फायदा उठाना चाहिए और भगवान का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अनंत फल की प्राप्ति होगी। पंडित विष्णु दत्त सरस ने बताया कि 6 सितंबर  को योगांें का ऐसा शुभ संयोग बन रहा है कि जो हर कष्ट को दूर करने वाला है। 6 सितंबर की रात्रि 11 बजे वार यानि दिन बुधवार होगा। तिथि अष्टमी होगी। रोहिणी नक्षत्र होगा, योग हर्षण व करण कउल्लभ भी होगा। 

भगवान कृष्ण का जब प्राकटय हुआ था, उस समय भी ये ही पंचांग था यानि ये पांचों योग थे। इन पांच योग के मिलन को जयंती योग भी कहा जाता है। यह जयंती योग 6 सितंबर की रात्रि 11 बजे से रात्रि 1 बजे के मध्य रहेगा। अतः सभी शैव, शाक्त, स्मार्त व वैष्णव को इस शुभ संयोग का जो कई दशकों के बाद बन रहा है फायदा उठाना चाहिए और भगवान कृष्ण के बालरूप का पंचामृत से अभिषेक कर नई पौशाक पहनानी चाहिए और उनकी आरती करनी चाहिए। इससे हमें वहीं फल प्राप्त होगा जो भगवान कृष्ण के प्राकटय के समय प्राप्त हुआ था। जन्माष्टमी पर्व का उत्सव भले ही 7 सितंबर को ही मनाएं और व्रत भी उसी दिन रखें, मगर 6 सितंबर की रात्रि 11 बजे से 1 बजे के मध्य भगवान का पंचामृत से अभिषेक कर अनंत फल की प्राप्ति करें।
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