◼️रविवार को दुर्गा अष्टमी में कंजकों को भोग लगेगा।

◼️जानिए दशहरा पूजन और  रावण दहन के  शुभ मुहूर्त



सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाज़ियाबाद :- शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं ,नवरात्रों में दुर्गा सप्तमी, दुर्गा अष्टमी और महानवमी का पूजन का बहुत ही महत्व है।जिन साधकों के यहां अष्टमी पूजन होता है। वे शनिवार को दुर्गा सप्तमी का व्रत रखेंगे। अगले दिन दुर्गा अष्टमी को दुर्गा माता का कलश के जल को सूर्य को अर्घ्य देकर और नारियल को कन्याओं में बांट देंगे। कन्याओं को खाना खिलाएंगे।
कन्याओं के भोग में हलवा ,पूरी और चने का विशेष महत्व है।
*कन्याओं को भोग लगाने की विधि*
प्रातः काल उठकर घर की महिलाएं स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ रसोई में दुर्गा मां के लिए भोग सामग्री बनाएं ।इसमें हलवा, पूरी और काले चने का प्रसाद बनता है। कोई कोई आलू की सब्जी बना देते हैं।
सबसे पहले मां दुर्गा की ज्योत करें और मां को आठ पूरी हलवा और चने का भोग लगाएं ।तत्पश्चात कन्याओं को भोजन कराएं। इसमें नौ कन्याओं को भोजन कराने का विधान है। कभी-कभी  कन्याओं कम पड़ जाती हैं ,इसलिए उनकी थाली अवश्य निकालें और सौभाग्य से कुछ कन्या अथवा बालक अतिरिक्त आ जाते हैं तो आपके सौभाग्य का विषय है। कन्या भोजन समाप्ति के पश्चात कन्याओं को तिलक लगाए और उनको कुछ उपहार अथवा धन अवश्य दें  व उनके पैर जरूर छुएं।
ऐसा करने से दुर्गा मां के व्रत का परायण होता है।
 जिन साधकों के यहां नवमी पूजी जाती है ।वे साधक 20 अक्टूबर रविवार को अष्टमी का व्रत रखेंगे। और अगले दिन 21अक्टूबर को दुर्गा नवमी में कंजक जिमाएंगे।इस वर्ष  दुर्गा सप्तमी, दुर्गा अष्टमी व दुर्गा नवमी  छत्र, श्रीवत्स ,सौम्य और धाता आदि शुभ योगों में आ रहे हैं ।जो भक्तों के कल्याण और विश्व के कल्याण के लिए उत्तम माने गए हैं।
*दशहरा पूजन  और रावण दहन का समय*
घरों में दशहरा पूजन 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को होगा।
विजय मुहूर्त में दशहरा पूजन बहुत ही श्रेष्ठ होता है। अपराह्न 12:38 बजे से 14: 21 बजे तक मकर लग्न में विजय मुहूर्त आएगा, जो दशहरा पूजन के लिए बहुत श्रेष्ठ है। इसके अलावा  अभिजित मुहूर्त 11:36 बजे से
 12 :24 बजे तक बहुत शुभ मुहुर्त है।
दशहरा पूजन के समय भारतीय समाज में शस्त्र पूजन का महत्व है। इस दिन घर-घर में जिसके पास जो भी शस्त्र हैं, लाठी से लेकर के बंदूक राइफल आदि तक उन सब का पूजन करना भी बहुत शुभ रहता है ।
क्योंकि  यह विजयोत्सव है और बिना शास्त्रों की विजय संभव नहीं होती है। चाणक्य ने कहा था कि जिस देश में शस्त्रों को जंग नहीं लगता उस देश को कोई जीत नहीं सकता। इस दिन अपने हथियारों आयुधों आदि को साफ स्वच्छ करके पुनः स्थापित करें।
*दशहरा पूजन करने की विधि*
घर के आंगन में गाय के गोबर से 10 छोटे-छोटे उपले बनाएं। आटे से चौक पूरें।उसके चारों कोने पर दो-दो उपले रखें ।दो उपले ऊपर  रखें । उनके ऊपर जौ के उगे हुए नौरते के रखें ।उसके ऊपर सामान्य रूप से चारपाई बिछा सकते हैं उसके ऊपर अपने यंत्र ,शस्त्र पुस्तक आदि रखकर  घर के सभी सदस्य बैठ करके गणेश आदि का पूजन करें ।पूजन के पश्चात तीन या सात परिक्रमा करें।
दशहरा पूजन में गणेश आदि पूजन के बाद सूक्ष्म नवग्रह पूजन ,कलश पूजन करें ।उसके पश्चात भगवान राम को स्मरण करते हुए
 *रामाय रामचंद्राय रामभद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया:पतये नमः*।
का 3या 5 बार जाप करें।
*ओम् यानि कानि च  पापानि जन्मान्तर कृतानि च*।
*तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे*।
इस मंत्र को बोलकर तीन या पांच परिक्रमा करें। खील बताशे का प्रसाद बांटे।
*रावण दहन का शुभ मुहूर्त*
24 अक्टूबर दशहरे के दिन रावण दहन का मुहूर्त शाम प्रदोष काल में 17:39 बजे से रात्रि 22:59 बजे तक मेष ,वृषभ और मिथुन लग्न में श्रेष्ठ रहेगा।

पं.शिवकुमार शर्मा
आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य, गाजियाबाद
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