रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि पितृपक्ष में पितरों के पुण्य सुमिरन के बाद शारदीय नवरात्र का एक सप्ताह व्यतीत हो चुका है। आज है कन्यापूजन का दिन अर्थात नवरात्र की अष्टमी, जब समस्त लोक को धारण करने और संचालित करने वाली जगतधारिणी मां जगदंबा की आठवीं शक्ति महागौरी का कन्या रूप में स्वागत किया जाता है, शक्तिवंदन के पर्व की यह अद्भुत परंपरा है, यह नवदुर्गा के नौ स्वरूपों वाले नवरात्र का दिव्य अभ्यागत स्वागत है।
हमारी सनातन संस्कृति इसी मान्यता पर खड़ी है कि आदिशक्ति ही संसार में सभी घटित क्रियाओं का कारण हैं। यह उनकी ही ऊर्जा है। जो सब कुछ संचालित कर रही है, इसी कारण हमारे यहां मातृशक्ति का सम्मान है। स्त्री को शक्ति माना गया है और माता, बहन या बेटी, सबके भीतर हम आदिभवानी का रूप देखते हैं। इसीलिए नवरात्र में कन्या पूजन की परंपरा है। देवी के नौ स्वरूप मातृशक्ति के विभिन्न नौ रूप हैं। यदि नारी मां चंद्रघंटा की सौम्यता का स्वरूप लिए है तो दुष्टों के लिए वह कालरात्रि है, यदि "वह ब्रह्मचारिणी जैसी तेजोमयी है तो महिषासुर जैसे राक्षस का वध करने वाली महादुर्गा भी है।
वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्र की अद्भुत परंपरा है हमारे देश में नौ दिन देवी के विभिन्न स्वरूपों को समर्पित होकर हम स्त्री की सत्ता की ऊर्जा को अनुभूत करते हैं। अनंत चतुर्दशी से विभिन्न अंचलों में रामलीला आरंभ हो जाती है, नवरात्र भर रामलीलाएं चलती रहती हैं। रामकथा में हम यही देखते हैं कि किस तरह मां जानकी का अपमान रावण के अंत का कारण बना।
तून धरि ओट कहति वैदेही।
सुमिरि अवधपति परम सनेही ।। यही नहीं, रावण ने मंदोदरी की भी बात नहीं सुनी और अंततः उसके पूरे वंश का नाश हुआ। यह स्त्री शक्ति की अवज्ञा का प्रमाणित परिणाम है।