रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- राष्ट्रवादी जनसत्ता के हेल्थ प्रभारी का कहना है कि हर रोज़ क़रीब 500 मरीज़ कुत्ता बंदर काटने से ग़ाज़ियाबाद सरकारी अस्पताल में आते है। लेकिन सीरम पिछले तीन साल से ख़त्म है। एक सीनियर ऑफिसर की पत्नी को मुझे हाथ में सीरम इंजेक्शन लगाना पड़ा क्योकि सरकारी अस्पताल ग़ाज़ियाबाद में रेबीज सीरम उपलब्ध नहीं था। मुझे आश्चर्य तो तब हुआ जब ग़ाज़ियाबाद के सारे बड़े अस्पताल व फ़ार्मेसी में सीरम नहीं मिला।
डॉक्टर बीपी त्यागी का कहना है कि अगर बाईट स्किन को कट कर के अंदर तक रहती है तो सीरम लोकल घाव पर लगाना रेबीज से बचा सकता है। अगर सीरम घाव में इंजेक्ट नहीं किया तो रेबीज के कीटाणु घाव से नर्व के साथ स्पाइनल कॉर्ड व दिमाग़ तक पहुँच जाता है , और मरीज़ की जान चली जाती है।