◼️सत्यनारायण भगवान की कथा कराने से सभी कष्ट व संकट दूर होते हैं

◼️भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसकी खुशी में देव दीपावली मनाई जाती है

◼️गुरू नानक देव का प्रकाश पर्व भी इसी दिन मनाया जाता है



रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- सिद्धेश्वर महादेव कुटी पाईप लाईन राड मकरेडा के महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य ने कहा कि हिंदू सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व  भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से जुड़ा है, जो सृष्टि के विनाश और पुनर्सृजन की गाथा बताता है। भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी खुशी में इस दिन देव दीपावली मनाई जाती है। इस पर्व पर भगवान सत्यनारायण की कथा का बहुत महत्व है। गुरू नानकदेव का प्रकाश पर्व भी इसी दिन मनाया जाता है। महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य ने बताया कि इसबार कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 16 नवंबर को 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के चलते कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को रहेगा। भगवान विष्णु कार्तिक पूर्णिमा तक ही जल में मतस्य रूप में रहते हैं और इसी कारण इस दिन गंगा, यमुना व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने व दीपदान करने का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने, भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण करने से सौ अश्वमेघ के बराबर फल प्राप्त होता है। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति गंगा स्नान करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दीपदान करना अंधकार को दूर करने और जीवन में प्रकाश फैलाने का प्रतीक है। 

कार्तिक पूर्णिमा पर सांय के समय तुलसी के पास और मुख्य द्वार पर भी घी का दीपक जलानंे से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व है। नदी स्नान संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल की बूंदे मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
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