रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :-
        कार्तिक कृष्ण अष्टमी का पावन व्रत इस साल रविवार को रखा जाएगा। महंत विजय गिरी जी महाराज ने बताया की इस व्रत के दिन रवि पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है। और बड़ा ही शुभ माना जा रहा है। इस योग में खरीददारी का भी बहुत महत्व है। इस व्रत में माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत में सई माता और सेई की भी पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी पर माताएं चांदी की माला भी पहनती हैं, जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ती हैं। इस व्रत में बहुत नियमों का पालन भी किया जाता है। 

महंत जी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में व्रती महिला चाकू से सब्जी आदि काट नहीं सकती हैं। इसके अलावा इस दिन सुई का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस व्रत की कहानी से इसका महत्व भी समझा जा सकता है। इसके साथ ही इस दिन महिलाएं निर्जला होकर व्रत रखती हैं औऱ फिर शाम को अहोई माता की पूजा कर तारों को करवों से अर्घ्य देती हैं।

पूजा विधि
दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाई जाती है। फिर रोली, चावल और दूध से पूजन किया जाता है। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा का श्रवण करती हैं। अहोई माता को पूरी औऱ किसी मिठाई का भी भोग लगाया जाता है। इसके बाद रात में तारे को अघ्र्य देकर संतान की लंबी उम्र और सुखदायी जीवन की कामना करने के बाद अन्न ग्रहण करती हैं। इस व्रत में सास या घर की बुजुर्ग महिला को भी उपहार के तौर पर कपड़े आदि दिए जाते हैं।
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