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इटावा :- पंचायत चुनाव की डुगडुगी काफी तेजी से बज रही है। ऐसे मे चंबल मे डाकू फरमानों की चर्चा किए बिना नही रहा जा सकता है। मुहर लगाओ, वरना गोली खाओ छाती पर, कभी चंबल घाटी मे चुनाव के दौरान ऐसे नारों की गूंज हुआ करती थी, लेकिन आज इस तरह के नारे इतिहास के पन्नों मे दर्ज हो गए हैं, क्योकि खूखांर डाकुओं के खात्मों ने इन फरमानों पर विराम लगा दिया है। चंबल का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि कई चुनाव खूंखार डाकुओं के फरमानों के कारण असरदायक रहे है, इसलिए पुलिस प्रशासन की पूरी निगाह हमेशा रहती आई है और चुनाव के दरम्यान खास करके रहती भी है।
बेशक आज की तारीख मे चंबल से डाकुओं का सफाया पूरी तरह से कर दिया गया है, लेकिन पुराने डाकुओं के नाते रिश्तेदार और उनकी करीबियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए संबधित थानों की पुलिस को सचेत किया गया है। भले ही फतबे ना हो, लेकिन इन फरमानों की चर्चा किए बिना कोई भी घाटी वासी रह नहीं पा रहा है। आज भले ही डाकुओं के फरमान नहीं है। फिर भी फरमानों को याद करके घाटी वासियों की रूह आज भी कांप जाती है।