रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :- विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि जितिन प्रसाद नेता हो सकते हैं  ब्राह्मणों के नेता नहीं। किसी के द्वारा थोपा हुआ नेता ब्राह्मण बर्दाश्त नहीं करेगा अब तक ब्राह्मणों के साथ क्या योगदान रहा पहले जितिन प्रसाद बताएं तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से रिश्ता रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का बीजेपी में जाना मुख्य विपक्षी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका हो सकता है। यूपी में कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होना है और बीजेपी को एक बड़े और भरोसेमंद ब्राह्मण नेता की तलाश थी। शायद अब बीजेपी की तलाश पूरी हो गई है. बीजेपी के अनुसार जितिन प्रसाद एक युवा ब्राह्मण नेता माने जाते हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि जितिन प्रसाद की बदौलत सूबे में ब्राह्मणों की कथित नाराजगी दूर करने में कामयाबी हासिल हो सकती है। 

इस पर बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि ब्राह्मणों के नेताओं को हर दल जानता है और जिन की उपेक्षा हुई है उन्हें पूरा देश जानता है ब्राह्मण वोट बैंक यूपी चुनाव में जाति समीकरण काफी अहम होता है. बीजेपी को अगर मिशन 2022 में कामयाब होना है तो वह ब्राह्मणों को अनदेखा नहीं कर सकती। यूपी में करीब 10 से 11 फीसदी ब्राह्मण है। साल 2017 में बीजेपी के कुल 312 विधायकों में 58 ब्राह्मण चुने गए थे। इनमें 9 ब्राह्मण विधायक मंत्री बनाए गए. ब्राह्मण समाज से आने वाले दिनेश शर्मा उपमुख्यमंत्री बनाए गए. श्रीकांत शर्मा, बृजेश पाठक, उपेंद्र तिवारी, नीलकंठ तिवारी और सतीश द्विवेदी मंत्री बने थे। कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक था ब्राह्मण यूपी में पहले कांग्रेस के लिए मुख्य वोट बैंक ब्राह्मण समुदाय का माना जाता था। 

यूपी में अब तक 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मण रहे और सभी कांग्रेस पार्टी से थे। ब्राह्मणों ने 23 साल तक यूपी पर राज किया। आजादी के बाद राम मंदिर आंदोलन तक ब्राह्मण ज्यादातर कांग्रेस के साथ रहा। यूपी में आखिरी ब्राह्मण सीएम कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी थे। साल 1989 के बाद न तो कांग्रेस की सरकार बनी और न ही ब्राह्मण सीएम। रणनीति और समझदारी से वोटिंग के मामले में ब्राह्मण बेहतर माने जाते रहे हैं। इसके बाद साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। एसपी के 21 ब्राह्मण विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। अभिषेक मिश्रा, पवन पाण्डेय और मनोज पाण्डेय सहित कई विधायक मंत्री बने थे। माता प्रसाद पाण्डेय विधानसभा के स्पीकर बनाए गए। एसपी ने यूपी में ब्राह्मण नेता जनेश्वर मिश्रा के नाम पर पार्क बनवाया। परशुराम जयंती पर छुट्टी भी घोषित की गई थी। यूपी में जातीय समीकरण की शुरू से ही अहम भूमिका रही है। राजनीतिक पार्टियां जाति के आधार पर ही टिकटों का बंटवारा करती हैं। 25 फीसदी वोट बैंक दलितों का माना जाता है. ब्राह्मणों और ठाकुरों को अगड़ी जाति में माना जाता है। पिछली जाति का वोट बैंक 35 फीसदी है. इसमें 13 फीसदी यादव, 12 फीसदी कुर्मी और 10 फीसदी अन्य जाति के लोग आते हैं। 

प्रदेश में 18 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी जाट वोट बैंक भी अहम भूमिका निभाता है। यूपी में मुख्य रूप से बीजेपी, कांग्रेस, एसपी और बीएसपी के बीच मुकाबला होता है। आज के समीकरण के अनुसार, अगड़ी जाति के लोगों को बीजेपी का प्रतिनिधित्व माना जाता है। एसपी को पिछड़ी जाति का अगुवा और बीएसपी को दलित वोट बैंक का पैरोकार माना जाता है। उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव होना है आगामी चुनाव के विषय में विश्व ब्राह्मण संघ अपने समाज वह कुटुंब कबीलो के मुखियौ  से संपर्क करेगा जैसा समाज के मुखिया आदेशित करेंगे वैसे ही ब्राह्मण समाज के नेता उनके बताए रास्ते पर चलने का प्रयास करेंगे जहां ब्राह्मण का सम्मान होगा वही दल देश व प्रदेश में अग्रणी भूमिका निभाएगा
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