रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :- टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता हॉकी टीम के कोच पीयूष कुमार दुबे ने कहा कि 41 वर्ष बाद मिले पदक से हॉकी ही नहीं अन्य खेलों में भी नई जान पडी है। इससे देश में हॉकी ही अन्य खेलों को भी आगे बढने का मौका मिलेगा। साथ ही आने वाले समय में ओलिंपिक में देश के खिलाडी पदकों का ढेर लगाने में सफल रहेंगे। 

पीयूष कुमार दुबे ने कहा कि हमारा अगला लक्ष्य अब पेरिस ओलिंपिक है, जहां पदक का कलर बदलने का प्रयास रहेगा। पैनल्टी कार्नर को गोल में ना बदल पाने व गोल के पास आकर लडखडा जाने के कारण ही हम सफल नहीं हो पा रहे थे। अपनी इन दोनों कमजोरियों को दूर करने के लिए स्पेशल कैंप लगाए गए और उसी का परिणाम रहा कि हम 41 वर्ष बाद टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने में सफल रहे है। इसके लिए उन्होंने कोचिंग स्टॉफ के सभी सदस्यों व हॉकी खिलाडियों ने बहुत त्याग किया और तीन साल तक छुटटी नहीं ली। इस दौरान उनकी एक वर्ष की बेटी चार वर्ष की हो गई और वे उससे सिर्फ एक या दो बार ही मिल पाए। ओलिंपिक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सभी खिलाडियों को अपने आवास पर बुलाया तो उन्होंने कहा कि हम ओलिंपिक में हॉकी में पदक नहीं जीत पाते हैं तो अन्य खेलों में पदक मिलने पर भी ऐसा नहीं लगता है कि हमने पदक जीता है। इससे हॉकी खेल का महत्व भी पता चलता है। 

पीयूष कुमार दुबे ने कहा कि हॉकी का भविष्य बहुत ही उज्जवल है। हमारे पास इस समय 33 ऐसे खिलाडी हैं कि उनमें से हम किन्ही 16 खिलाडियों का चयन क्यों ना कर लेतेए ओलिंपिक में रिजल्ट वहीं रहताए जो रहा है। खेलों इंडिया का अच्छा असर हो रहा है और खेल प्रतिभा निखरकर सामने आ रही हैं। खेलो इंडिया में चयनित खिलाडी को जहां पांच लाख की स्कॉलरशिप मिल रही हैए वहीं विश्व स्तरीय सुविधाएं भी दी जा रही हैं। देश के प्रधानमंत्री खुद खेल में रूचि दिखा रहे हैं और खिलाडियों का हौंसला बढा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी खिलाडियों के लिए कई घोषणाएं की हैं। इन सबके अच्छे परिणाम आएंगे और जल्द ही भारत खेल के क्षेत्र में एक शक्ति बनकर उभरेगा।
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