रिपोर्ट :- नासिर खान


लखनऊ :- लव जिहाद, धर्मांतरण जैसे मामलों में तेजी से उछाल दर्ज की गई है। जिसे लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चिंता व्यक्त की और कहा कि मुसलमान युवक और युवती का गैर मुस्लिम के साथ शादी शरीयत के अनुसार अवैध है, इसे शरीयत नहीं मानता। AIMPLB  व मुसलमान धर्मगुरुओं ने मुद्दों को लेकर प्रेस रिलीज जारी की और युवक युवतियों से अपील की है कि एक मुसलमान के लिए दूसरा मुसलमान ही जीवन साथी बन सकता है।

बोर्ड ने अपील करते हुए कहा कि इस्लाम में मुसलमान के लिए दूसरा मुसलमान ही जीवन साथी बन सकता है। शादी के मामले में एक मुस्लिम लड़की केवल एक मुस्लिम लड़के से ही शादी कर सकती है। इसी तरह एक मुस्लिम लड़का एक मुशरिक या बहुदेववादी लड़की से शादी नहीं कर सकता। यदि उसने जाहिरी तौर पर शादी की रस्म अंजाम दी भी हैं तो शरीयत के अनुसार वैध नहीं होगी।

बोर्ड ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों और नौकरी के अवसरों में पुरुषों और महिलाओं का साथ-साथ होना और दीनी (धार्मिक) शिक्षा से अपरिचित और माता-पिता की ओर से प्रशिक्षण की कमी के कारण अन्तर-धर्म शादियां हो रही हैं। जिसमें कई घटनाएं ऐसी भी सामने आयीं कि मुस्लिम लड़कियां गैर-मुस्लिम लड़कों के साथ चली गईं और बाद में बड़ी कठिनाइयों से गुज़रना पड़ा और अंत में अपनी जिंदगी खत्म करना पड़ा।

सादगी से की गई निकाह में होती है बरकत
इसके साथ ही बोर्ड ने अनुरोध किया कि  निकाह़ सादगी से करें, इसमें बरकत भी है, नस्ल की सुरक्षा भी है और अपनी क़ीमती दौलत को बर्बाद होने से बचाना भी है। उलेमा-ए-किराम जलसों में बार-बार इस विषय पर सम्बोधन करें और लोगों को इसके नुक़सान से जागरूक करें। बोर्ड ने अधिक से अधिक महिलाओं के इज्तेमा हों और उनमें इस पहलू पर अन्य सुधारात्मक विषयों के साथ चर्चा करने के साथ ही मस्जिदों के इमाम जुमा के ख़िताब, क़ुरआन और हदीस के दर्स में इस विषय पर चर्चा करने की अपील की।

लड़कियों को लड़कियों के स्कूल में ही पढ़ाने का करें प्रयास
धर्मगुरूओं ने माता-पिता को अपने बच्चों की धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था करने, लड़के और लड़कियों के मोबाइल फ़ोन इत्यादि पर कड़ी नज़र रखने और जितना हो सके लड़कियों के स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने का प्रयास की भी अपील की। उन्होंने कहा कि सुनिश्चित करें कि उनका समय स्कूल के बाहर और कहीं भी व्यतीत न हो और उन्हें समझाएं कि एक मुसलमान के लिए एक मुसलमान ही जीवन साथी हो सकता है। धर्मगुरूओं ने लड़कों और विशेषकर लड़कियों के अभिभावकों को ध्यान में रखकर कहा कि उन्हें ध्यान में रखना चाहिए कि शादी में देरी न हो, समय पर शादी करें  क्योंकि शादी में देरी भी ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण है।

धार्मिक संगठन, मदरसे बताएं कि ऐसे हराम हो जाएगी जिंदगी
गैर मुस्लिम में शादी को लेकर कहा कि रजिस्ट्री कार्यालय में शादी करने वाले लड़के या लड़कियों के नामों की सूची पहले ही जारी कर दी जाती है। धार्मिक संगठन, संस्थाएं, मदरसे के शिक्षक आबादी के गणमान्य लोगों के साथ उनके घरों में जाएं और उन्हें समझाएं और बताएं कि इस तथाकथित शादी में उनका पूरा जीवन ह़राम में व्यतीत होगा और शादी विफल रहेगी।
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