गौरव अग्रवाल
 

सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

आगरा :- पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन आज ये खतरे में नजर आ रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण आगरा में देखने को मिला है। योगी सरकार पार्ट 2.0 के आते ही यूपी पुलिस बेकाबू हो गई। सताधारियों को खुश करने के लिए अब समाज के चौथे स्तभ पर हमला बोल दिया गया है। तथा कथित मामले में पंजाब केसरी के पत्रकार गौरव को आधी रात को घर से उठा लिया गया। थाने में रात भर पत्रकार की पिटाई की गई। कोर्ट में पेश होने पर पुलिस का जुल्म सुनाकर पत्रकार फूट-फूट कर रोया और पिटाई के निशान भी दिखाए। इस घटना के बाद मीडियाकर्मियों में काफी रोष है। इस मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर सवाल उठाए हैं।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि आगरा के पत्रकार गौरव अग्रवाल की सच्ची पत्रकारिता व जनहित में उठाई आवाज़ को भाजपा सरकार ने शारीरिक प्रताड़ना से दबाना चाहा है। देशभर के पत्रकार इस उत्पीड़न के ख़िलाफ़ साथ आएं! तत्काल न्यायिक जाँच हो! ये लोकतंत्र के ‘चौथे स्तंभ’ को ‘थोथे स्तंभ’ में बदलने की घोर निंदनीय साज़िश है। 

जानिए क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 8 मार्च को मतगणना स्थल पर हंगामे के बाद कवरेज करने पहुंचे पंजाब केसरी के पत्रकार गौरव और उसके 10 12 साथियों के खिलाफ बलवा सरकारी कार्य में बाधा और 7 क्रिमिनल एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में सोमवार मंगलवार की रात एक बजे अधिकारियों का फरमान मिलने के बाद पुलिस ने गौरव को उसके घर से दबोच लिया कोर्ट में पेशी के समय मजिस्ट्रेट के समक्ष रो-रो कर पुलिसिया जुल्म की दास्तां सुनाई।

उसने कहा कि रात भर थाने में थर्ड डिग्री दी गई। बेइज्जत करने के लिए महिला पुलिस कर्मियों को बुलाकर पिटवाया गया। थानेदार समेत पुलिस अधिकारियों ने भद्दी गालियां देते हुए रात भर सोने नहीं दिया था। कई बार पिटाई की गई। उसके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया अधिवक्ताओं की दलील के बाद अदालत ने 21 मार्च तक गौरव बंसल को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारी और सत्ता दल से जुड़े नेता मौन साधे रहे।
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