पत्रकार सुशील कुमार शर्मा की कलम से.....✍🏻


गाजियाबाद :- महानगर के नवरत्नों में शुमार स्थानीय अशोक नगर स्थित वी. एन. भातखंडे संगीत महाविद्यालय के संस्थापक पंडित हरिदत्त शर्मा (69वर्ष) का जन्म स्थान पिलखुवा है। उनके पिता पंडित शिव चरण शर्मा श्रीराधा कृष्ण मंदिर में पुजारी थे। उनकी माता रामप्यारी भी पिलखुवा की थी। पूरे मौहल्ले में उन्हें रम्पो बुआ कहते थे। उन्ही के नाम से आज यह मौहल्ला रमपुरा के नाम से जाना जाता है। हरिदत्त जी उनके चार पुत्रों में सबसे छोटे थे। उनका बचपन पिता के साथ मंदिर की साफ सफाई और सेवा में बीता। एक बार मंदिर में कीर्तन का आनन्द लेते हुए उनके मन में ढोलक बजाने की इच्छा जागृत हुई। आपने पिताजी से अपनी इच्छा बताई। उनके पिता ने उन्हें बताया कि ढोलक का मूल्य 30  रूपये है जो उन दिनों उनके लिए बड़ी धनराशि होती थी। उन्हें मंदिर में झाड़ू लगाने के सेवार्थ पिताजी से नित्य एक रूपया मिलता था। उसे जोड़कर जब तीस रुपए हो गये तो उन्होंने पिताजी को वह देकर ढोलक दिलवाने को कहा। पुत्र की इच्छा का मान रख उनके पिता ने उन्हें ढोलक दिला दी। संगीत की आरंभिक शिक्षा उन्हें अपने उनसे बड़े भाई पंडित सोम दत्त शर्मा जी से मिली। उन्ही के कारण आज उनके परिवार के 30 सदस्य संगीत की सेवा में लगे हैं। पंडित सोमदत्त जी गाजियाबाद में शम्भु दयाल इंटर कालेज में संगीत शिक्षक थे। उन्ही के प्रयास से  वर्ष 1973 में उन्हें सेठ मुकंद लाल इन्टर कालेज में संगीत शिक्षक की नौकरी मिली। चन्द्र पुरी के छोटे से मकान में वह 15 वर्ष तक रहे। वहीं उन्होंने संगीत विद्यालय प्रारंभ किया। जहां गायन, वादन और कथक नृत्य की शिक्षा दी जाती थी।
     
उनकी  शिक्षा एम. ए. (संगीत व गायन)-इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ ( छत्तीसगढ़), संगीत ( प्रवीण)- प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद (प्रयागराज), संगीत अलंकार- अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय, मुंबई मंडल है । आप संगीत के प्रसिद्ध  किराना  घराने  और  आध्यात्मिक  परंपरा  से  हैं।आकाशवाणी  व दूरदर्शन के मान्यता प्राप्त बी-ग्रेड गायक-सुगम संगीत हैं। आपके आकाशवाणी से अनेक बार शास्त्रीय संगीत एवं भजन के कार्यक्रम प्रसारित हो चुके हैं। समय -समय पर दूरदर्शन के राष्ट्रीय चेनलों पर भी आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। अपने सौम्य व्यवहार और सरल व्यक्तित्व के कारण आप सभी के चहेते हैं। संगीत जगत का कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो आपसे परिचित ना हो।  
सभी उन्हें  सम्मान से  गुरूजी  कहते   हैं। आपके सिखाए असंख्य छात्र -छात्राएं भारतवर्ष में ही नहीं अपितु विदेशों में भी संगीत की सेवा कर रहे हैं। दया तथा परोपकार की साक्षात मूर्ति आदरणीय गुरूजी ने  न जाने कितने बच्चों को बिना कोई फीस लिए सिखाया है। कालेज में पढ़ने वाले न जाने कितने छात्रों की फीस, यूनिफार्म ,किताबों आदि का खर्च आप स्वयं वहन करते हैं। आप प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद, भातखंडे संगीत विद्यापीठ लखनऊ, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ (छत्तीसगढ़ ), के नियमित प्रायोगिक शिक्षक हैं और भारतवर्ष के सभी प्रदेशों में शिक्षा लेने जाते रहते हैं। अनेक बार शिक्षक दिवस पर देश के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा आपको सम्मानित किया गया है। विश्व विख्यात शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान व अन्तर्राष्ट्रीय सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खां से भी आपको और आपके शिष्यों को आशीर्वाद मिला है। डॉ . सुभाष कश्यप  जो लोकसभा के महासचिव एवं संविधान विशेषज्ञ रहे हैं  उनसे बड़ा स्नेह  करते हैं। उनका कहना है कि गुरूजी ने अपना सारा जीवन संगीत को दिया है। उनकी प्रेरणा से उनकी बेटी,बेटा,बहू और बच्चों की माता सभी ने संगीत शिक्षा दान को ही अपना जीवन बना लिया। उन्हें देश विदेश में बहुत से उच्च सम्मानों से विभूषित किया गया है लेकिन मेरा मानना है उन्हें मिला सबसे बड़ा पुरस्कार वह स्नेह और आदर है जो उन्हें उनके शिष्यों की अनेक पीढ़ियों से मिला है।
       
आदरणीय  गुरूजी  को  अब तक कितने पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है इसकी गणना असंभव है। फिर भी उन्हें प्राप्त प्रमुख पुरस्कारों में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.संजीवा रेड्डी द्वारा प्राप्त सम्मान (1978), इसी वर्ष उन्हें शंमुखानंद हाल, मुंबई में  प्रतिष्ठित "फिल्म फेयर अवार्ड" नाइट में फिल्म सितारों से खचाखच भरे हाल में   सम्मानित किया गया , उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ में तत्कालीन सांसद डिंपल यादव द्वारा वर्ष 2015 में उन्हें सम्मानित किया गया, कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा उन्हें वर्ष 2000 में सम्मानित किया गया। वर्ष 2015 में मानव संसाधन मंत्री ‌श्रीमती स्मृति ईरानी द्वारा उन्हें "ज्योति सेवा सम्मान" प्रदान किया गया। वर्ष 2019 में लंदन में आयोजित समारोह में ब्रिटिश सरकार  द्वारा उन्हें "महात्मा गांधी लीडर शिप अवार्ड" से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है इस पुरस्कार को पाने वाले पहले व्यक्ति पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी थे। सातवें व्यक्ति वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं और दसवें व्यक्ति और पहले संगीतज्ञ पंडित हरिदत्त शर्मा है। आपकी निरंतर सक्रियता के मद्देनजर उत्तर  प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 से  उन्हें उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का सदस्य मनोनीत किया हुआ है।    भारत  विकास  परिषद  द्वारा  आयोजित  समूह गान  प्रतियोगिताओं   में असंख्य बार आपके द्वारा स्थापित वी. एन. भातखंडे संगीत महाविद्यालय के छात्रों को  पुरस्कार मिले हैं । इस प्रतियोगिता में वह अनेक बार  निर्णायक मंडल में भी शामिल रहे हैं। मेवाड़ विश्व विद्यालय, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) के गाजियाबाद  के वसुंधरा स्थित  कालेज में वह प्रति वर्ष वार्षिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित रहते हैं। कालेज के चेयरमैन अशोक गाडिया आपका  बहुत सम्मान करते  हैं। 
      
इतना ही नहीं महानगर के अधिकांश स्कूलों व कालेजों में आपके सिखाये छात्र व छात्राएं  ही  संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। महानगर ही नहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जब किसी स्कूल या कालेज में  संगीत शिक्षक का स्थान रिक्त होता है तो वहां के प्राचार्य अथवा निदेशक सर्व प्रथम आपको सूचित करते हैं और अनुरोध करते हैं कि कोई शिक्षक अथवा शिक्षिका भेज दीजिए। आप इसे ईश्वर की अनुकम्पा मानते हैं कि वर्तमान में आपका कोई भी शिष्य अथवा शिष्या आजीविका से वंचित नहीं है। उनके शिष्यों की गणना भी असम्भव है। उनके    प्रतिष्ठित व ख्याति प्राप्त शिष्यों में महानगर की प्रथम महिला महापौर  दमयंती गोयल व उनके पुत्र  मयंक गोयल (क्षेत्रिय मंत्री-भाजपा, प. उप्र), डॉ . अशोक चक्रधर (प्रसिद्ध व्यंग्यकार व कवि), डॉ .माला कपूर ( सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल), डॉ . संजीव रसानियां (लेडी हार्डिंग अस्पताल,नई दिल्ली), डॉ . मधु पोद्दार (सीनियर फिजिशियन -पोद्दार  अस्पताल, गाजियाबाद), डॉ . स्वाति कश्यप (फोर्टिस अस्पताल, नोएडा), अशोक शर्मा (पूर्व विशेष सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार), श्री मती उर्मिला शर्मा (निदेशक -अर्वाचीन भारती स्कूल), आनन्द प्रकाश शर्मा (निदेशक -बी.आर.इन्टरनेशनल स्कूल), डॉ .रमा सिंह (प्रख्यात कवियत्री एवं पूर्व सदस्य -हिंदी समिति, दिल्ली), डॉ . मनोरमा वैद्य (अध्यक्ष -विश्व महिला उद्योग),एम. के. सेठ(पूर्व सीजीएम -एल्ट सेंटर), भगवती सिंह (डीडीआर शिक्षा निदेशक, लखनऊ), बी. एल. बत्रा (टैक्स एडवोकेट, गाजियाबाद), डॉ .आर पी सिंघल (फिजिशियन, गाजियाबाद), अल्का शर्मा (प्रधानाचार्य -कन्या वैदिक इंटर कालेज, गाजियाबाद), डॉ.बागेश्री चक्रधर (प्रोफेसर -जामिया मिलिया विश्व विद्यालय), डॉ . अखिलेश गर्ग (हड्डी रोग विशेषज्ञ, गाजियाबाद), डॉ .मुनीष शर्मा ( होम्योपैथिक चिकित्सक), डॉ . प्रदीप त्यागी (होम्योपैथिक चिकित्सक -राजकीय अस्पताल, हापुड़) प्रमुख हैं। उपरोक्त सभी ऐसे प्रमुखजन हैं जिनका कार्यक्षेत्र संगीत नहीं है लेकिन संगीत में रुचि एवं गुरूजी के प्रति श्रद्धा के फलस्वरूप उन्होंने संगीत सीखा।
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