रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- संजय नगर परमार्थ सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में गणपति जी का आगमन बड़े श्रद्धा भाव के साथ फूलों की वर्षा कर वंदन अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर परमार्थ सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन वीके अग्रवाल शशि प्रभा अग्रवाल अंकुर अग्रवाल शालिनी अग्रवाल अंकित अग्रवाल आकांक्षा अग्रवाल अयांश अग्रवाल  आवया अग्रवाल आचार्य कृष्ण कुमार शर्मा आचार्य सुरेंद्र तिवारी इंद्रेश तिवारी द्वारा विधि विधान से पूजन कर गणपति स्थापना कर महोत्सव का शुभारंभ किया। 

बता दें कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन माता पार्वती द्वारा की गई तपस्या के कारण भगवान श्री गणेश ने साकार रूप धारण किया था। श्री गणेश का प्राकट्य मध्यान्ह काल में हुआ था इसलिए मध्यान्ह काल में ही श्री गणेश की प्रतिमा की स्थापना शुभ एवं मंगलकारी मानी जाती है। 

शास्त्रों के अनुसार गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि और सुख-समृद्धि का दाता माना जाता है। भादो महीने की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का पूजन भारत के दक्षिण, पश्चिम में अधिक प्रचलित है। गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला भादो शुक्ल चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। दक्षिण पश्चिम प्रान्तो में यह पर्व 11 दिनों तक चलता है। गणेश उत्सव का पर्व 31 अगस्त से शुरू होकर 9 सितंबर तक चलेगा। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना घर-घर में की जाती है। बुधवार को ये पर्व कई शुभ योगों में मनाया जाएगा। 

इस बार गणेश उत्सव के 10 दिनों में कई विशेष योग बन रहे हैं। इस गणेश चतुर्थी पर वह सभी योग बन रहे हैं जो गणेश जन्म के समय बने थे। धर्म ग्रंथों में भी इनके बारे में बताया गया है। जिस समय देवी पार्वती ने मिट्टी के गणेश बनाकर उसमें प्राण डाले उस समय बुधवार, चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्र था। इस समय भी ये सभी योग बन रहे हैं। जिसके कारण ये पर्व और भी खास हो गया है। 

गुरु ग्रह की स्थिति से लंबोदर योग भी बन रहा है। यह गणेश जी का ही एक नाम है। इस दिन वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला नाम के 5 राजयोग भी रहेंगे। इस अवसर पर विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता ब्रह्मऋषि विभूति बी के शर्मा हनुमान एडवोकेट हरिश मोहन गर्ग डॉक्टर नीरज गर्ग डॉ मंजू गर्ग हरज्ञान शंकर सिसोदिया अजय अग्रवाल डॉ हरीश शर्मा सुरेंद्र पाल त्यागी जितेंद्र भटनागर आदि उपस्थित थे।
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