रिपोर्ट :- वेद प्रकाश चौहान
उत्तराखण्ड :- हरिद्वार में खन्ना नगर में हुए एक दूसरे पर हमले को लेकर पुलिस द्वारा अभी तक केवल एक ही पक्ष की रिपोर्ट दर्ज की है। और पुलिस ने दूसरे पक्ष की रिपोर्ट नहीं ली, जिस कारण दूसरे पक्ष ने न्यायालय की शरण लेकर धारा 156/ 3 सीआरपीसी में प्रार्थना पत्र दिया है। बहुत ही हास्य पद बात है कि पुलिस अधिकारी अपनी आख्या जो न्यायालय में 156/3 सीआरपीसी में न्यायालय द्वारा मांगी गई थी। उसमें रिपोर्ट में न्यायालय को 156/3 खारिज किए जाने के लिए पुलिस द्वारा अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 156/3 खारिज कर दिया जाए।
जिससे स्पष्ट है कि पुलिस एकपक्षीय कार्यवाही करना चाहती है। हरिद्वार जनपद में कई बार झगड़े हुए डिग्री कॉलेज में झगड़े हुए अन्य धर्मों में झगड़े हुए लेकिन पुलिस द्वारा कभी भी इतनी तीव्रता से कार्रवाई नहीं की गई की अभियुक्तों के घरों में घुस घुस कर उनकी तलाशी ली गई। अभियुक्तों के न्यायालय से वारंट लिए गए अभियुक्तों के विरुद्ध इनाम घोषित कर दिया गया। अभियुक्तों को बार-बार उनके परिवार वालों को टॉर्चर किया गया।
इस मुकदमे को देखते हुए हरिद्वार की जनपद की जनता भी असमंजस में है कि आखिर इस मुकदमे में ऐसा पुलिस को क्या दिखाई दिया कि छोटे-छोटे बच्चों को बजाय सुधारने के बदमाश बनने के लिए मजबूर पुलिस कर रही है हाल में ही विष्णु अरोड़ा को पकड़कर पुलिस ने उसके कॉलोनी में उसे घुमाया उसके बाद उसे उसकी दुकान पर हरिद्वार में लेकर गए जो एक मानवाधिकार आयोग इस पर नजर रखें तो पूरा मानवाधिकार आयोग का भी हनन है परंतु ऐसी कौन सी अदृश्य शक्ति है कि पुलिस इस मुकदमे से क्या लेना चाहती है क्या करना चाहती है क्या जनता को दिखाना चाहती है जनता का पुलिस से विश्वास ऐसे कृतियों से हट रहा है
हरिद्वार की गलियों में यह चर्चा थी कि इस मुकदमे में मदन कौशिक पूर्व कैबिनेट मंत्री के दोनों पक्षों मैं यह झगड़ा हुआ लेकिन मदन कौशिक द्वारा इस मामले में कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया गया। यदि हरिद्वार के राजनेताओं का यह हाल रहेगा कि दोनों पक्षों को बैठाकर समझा-बुझाकर मामले को समाप्त कर आना चाहिए था तो आने वाले समय में राजनेताओं को भीड़ इकट्ठे करना और उन से काम लेना बहुत भारी पड़ेगा।