रिपोर्ट :- विकास शर्मा

उत्तराखण्ड/हरिद्वार :- हिमालय पर्यावरण दिवस अवसर पर स्कूल के छात्रों को हिमालय की वन संपदा जड़ी बूटियों तथा जैविक सभ्यता के विषय में छात्रों को अवगत कराया गया।हिमालय दिवस के अवसर पर अंतराष्ट्रीय पक्षी एवं पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने पीपीटी के माध्यम से डीपीएस फेरूपुर में विद्यार्थियों को हिमालय की चोटियों, ताल तलैया तथा जैव विविधता के बारे में बताया।

इस अवसर पर हिमालय की विभिन्न प्राकृतिक संपदा कैलाश पर्वत, नंदा देवी, दूनागिरी, ऋषि पर्वत, एवरेस्ट, पंचोली, झीलों में डल झील, पैंगोंग झील, रूपकुंड, हेमकुंड इत्यादि, वन्य जीवन में हिमालयन लेपर्ड, कस्तूरी मृग, हिंगुल, हिमालयन गोट, मोनाल, चकोर, खंजन, राजहंस, पपीहा आदि वनस्पति में बुरांश, जटामासी, तिमला, ब्रह्म कमल आदि के बारे में बताया। 

प्रोफेसर भट्ट ने कहा कि हिमालयन वन्य जीवन में मानवीय दखल के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है। जंगली सूअर, बंदर, मोर इत्यादि फसलों को बेहद नुकसान पहुंचा रहे हैं एवं तेंदुआ तथा बाग मवेशियों व मनुष्यों पर आक्रमण कर रहे हैं जिससे हिमालय से लगातार पलायन हो रहा है। मनुष्य व वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाने पर वैज्ञानिकों को कार्य करना होगा तभी पलायन रुकेगा व हिमालयी पर्यावरण बचेगा।
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