रिपोर्ट :- संजय चौहान

उत्तराखण्ड :- हरिद्वार में एक समय था जब लोगों को अपना लाइसेंस बनाने के लिए एआरटीओ कार्यालय के कई चक्र काटने पड़ते थे और एआरटीओ कार्यालय में दलालों की भरमार रहती हुआ करती थी। लोगों के लाइसेंस बनाने के लिए दुगने पैसे मांगे जाते थे। जैसे-जैसे ऑनलाइन सुविधा लोगों के पास पहुंचने लगी, तो सरकार ने भी एक बहुत बड़ा ऐलान कर दिया ताकि लोगों को असुविधा न हो उसके लिए एआरटीओ में लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को ऑनलाइन शुरू कर दिया गया और एआरटीओ में बैठे दलालों से लोगों को निजाद मिल सकें। पर अब देखा जा रहा है कि स्थित जस की तस बनी हुई है और ऑनलाइन के बाद भी हरिद्वार एआरटीओ कार्यालय दलालों की भेंट चढ़ता जा रहा है और लोगों से लाइसेंस बनवाने के लिए मोटे पैसे ऐठे जा रहे हैं। 

शहर में चर्चा यह भी है कि हरिद्वार एआरटीओ कार्यालय में बड़े-बड़े अधिकारियों के नीचे काम कर रहें कुछ लोगों द्वारा ही पैसे ऐठने का काम किया जा रहा है और एआरटीओ में बैठे अधिकारियों को उसमें से हिस्सा दिया जाता है। जी हां शहर में चर्चा यह बनी हुई है कि अगर आप अपना लाइसेंस ऑनलाइन फीस कटवाने के बाद भी जाते हो तो आपको कई बार चक्कर काटने पड़ते हैं फिर कई दिन बाद आपको पूरे कागज दिखाने पड़ेंगे, आपका ड्राइविंग टेस्ट होगा अगर आप उसमे पास होते हो तो तब जाकर उसके बाद आपका लाइसेंस बनेगा, अगर आप इन सभी चीजों से छुटकारा पाना चाहते हो तो आपको सीधा एआरटीओ कार्यालय में डेरा जमाए बैठे दलालों से संपर्क करना होगा और तीन गुना पैसे देकर 5 दिन बाद आप अपना लर्निग लाइसेंस ले जा सकते हो और सबसे बड़ी हैरत की बात यह भी है कि आपका कोई ड्राइविंग टेस्ट भी नही होगा।

आप सब ने एक कहावत तो सुनी होगी पैसा फेको तमाशा देखो वैसा ही हाल एआरटीओ कार्यालय में दलालों ने कर रखा है, और अधिकारी मौन, दलाल मस्त जनता पस्त। अब सवाल यह उठता है किस के इशारे पर खेल खेला जा रहा है। लोगो के खून पसीने की कमाई पर दलालों ने डांका डाल रखा है। ज्ञात रहे कि दो वर्ष पूर्व हरिद्वार डीएम रहे दीपक रावत ने शिकायत मिलने पर छापा मारा तो दलालांे और कर्मचारियों में खलबली मची और कार्यवाही भी हुई। अब देखना यह होगा की क्या प्रशासन द्वारा कोई बड़ा एक्शन लिया जाएगा या नहीं यह तो अब आने वाला वक्त ही बताएगा।
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