सुशील कुमार शर्मा, स्वतंत्र पत्रकार 

गाजियाबाद :- कुछ ऐसी शख्सियत होती हैं जिन्हें हम अपने जीवन में कभी नहीं भूल पाते। ऐसी ही शख्सियत गाजियाबाद के डॉ. जगदीश थे। मेरी याद में उनका दिल्ली गेट में होली चौराहे स्थित क्लिनिक भी है जहां सुबह से सायं तक अनवरत वह मरीजों को देखते थे। तब भी आसपास के गांवों से भी उनके यहां बहुत मरीज आते थे। वह वामपंथी विचारधारा के थे और मेरे पिता वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर वैद्य (तड़क वैद्य) के अभिन्न मित्र भी थे। तब उनका मकान नई बस्ती में था। उनके पिता प्रसिद्ध वकील रहे थे। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने जब अपनी वकालत की शुरुआत की थी तो  उन्होंने  भी उन्ही का जूनियर बनकर की थी। चौधरी चरण सिंह उन्हें अपना गुरु मानते थे। 

जब नवयुग मार्केट बना था तो 1, नवयुग मार्केट में वहां सबसे पहले डाक्टर जगदीश की क्लिनिक बनी । वहां अब उनके पुत्र डॉ.संजीव कुमार बैठते हैं ‌। डाक्टर संजीव सफदरजंग हॉस्पिटल में डाक्टर रहे हैं। नवयुग मार्केट में भी डाक्टर जगदीश के यहां यही हाल रहा। सुबह आने के बाद रात तक वह मरीजों को देखते थे। वह शुरू से ही ड्रिंक का नियमित सेवन करते थे । कार्य की अधिकता होने पर वह मरीजों के मुह में थर्मामीटर लगाकर इतनी देर में ही केबिन में जाकर पैग लेकर फिर मरीजों को देखने में जुट जाते थे। उसी के बल पर वह पूरे दिन सुबह से रात तक मरीजों को देखते थे।वह इस महानगर के सबसे बड़े और सबसे सस्ते डॉक्टर थे। असाध्य से असाध्य मरीजों को उन्होंने ठीक किया है। उनके दिल्ली गेट क्लीनिक और फिर नवयुग मार्केट में भी मरीजों को देखने के बाद दवा मिलती थी। किसी के पास पैसे न हो तो भी वह डाक्टर जगदीश के यहां जाकर दवा ले सकता था। आज जब डॉक्टरों की फीस और पहले दिखाने की विशेष फीस देखते हैं तो लगता है डाक्टर जगदीश कितने महान थे। कोरोना काल में भी सभी डाक्टर आन लाइन अकाउंट फीस लेने  के बाद ही मरीज़ को देखते थे।आन लाइन हो या आफ लाइन किसी भी डाक्टर की फीस पांच सौ से कम नहीं है।

उनके इतना अधिक कार्य करने से उनकी पत्नी बहुत चिंतित रहती थी। वर्षों तक वह भी दोपहर को आकर डाक्टर साहब के साथ ही रात्रि में घर जाती थी ‌। जब कवि नगर बना तो दूसरे फ्लाईओवर के नीचे रोड के साथ उनकी कोठी थी।इस नेकदिल डॉक्टर के निधन  की स्थिति बड़ी दुखद रही।जब जीडीए के सामने का दूसरा फ्लाईओवर बने ज्यादा दिन नहीं हुए थे तब एक रात्रि क्लीनिक से स्कूटर से घर जाते हुए उनका एक्सीडेंट हो गया जिसमें उनके दोनों पैर नहीं रहे। फिर कुछ समय बाद इसी स्थिति में उनका निधन हो गया। गाजियाबाद के पुराने लोग कभी भी उन्हें नहीं भूल पायेंगे।
एक बात और उल्लेखनीय है कि डॉ.जगदीश ने नवयुग मार्केट की अपनी बिल्डिंग में अपने एक कर्मचारी भवानी को कैंटीन खुलवा दी थी।  इस महानगर के दिग्गज राजनीतिक के सी त्यागी, राजेन्द्र चौधरी,चरण शांडिल्य, सतीश शर्मा, सुरेन्द्र गोयल,त्रिलोक त्यागी,अनूप सिंह की शुरुआत इसी भवानी की कैंटीन से ही शुरू हुई थी।
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