रिपोर्ट :- नासिर खान
लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए योगी सरकार ने 5 सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। ये आयोग मानकों के आधार पर पिछड़े वर्गों की आबादी को लेकर सर्वे कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी शामिल हैं। ये आयोग राज्यपाल की सहमति से 6 महीने के लिए गठित है, जो जल्द से जल्द सर्वे कर रिपोर्ट शासन को सौंपेगा। आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह ने कहा कि यह काम चुनौतीपूर्ण है और पूरे प्रदेश के प्रत्येक जिले में जा जाकर डाटा इकट्ठा किया जाएगा...इस पूरे काम में छह माह का समय लगेगा।
अब जुलाई बाद ही हो सकेंगे स्थानीय निकाय चुनाव !
आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह के इस बयान से एक बात हो साफ हो गई कि अब जल्दी प्रदेश में निकाय चुनाव होने की कोई संभावना नहीं है। गौरतलब है कि 5 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव की आरक्षण सूची जारी की थी...जिसमें ओबीसी और एससी-एसटी के लिए सीटें आरक्षित की गईं। इस आरक्षण के खिलाफ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि ओबीसी आरक्षण देने में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जिस ट्रिपल टेस्ट को आवश्यक बताया गया था, उसका पालन नहीं हुआ है। मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 27 दिसंबर को प्रदेश में निकाय चुनाव जल्द चुनाव कराने का आदेश दिया है। साथ ही राज्य सरकार की के ओबीसी आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन को भी रद्द कर दिया है।
वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का रुख किया है...दरअसल बीजेपी निकाय चुनाव कराने की जल्दबाजी में ओबीसी वोटरों को नाराज नहीं करना चाहती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी ओबीसी वोटरों की ही राजनीति करती है और उसका कोर वोट बैंक भी ओबीसी ही माना जाता है।