रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- शिक्षक कल्याण फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं शिक्षा का परिदृश्य 2025 एवं पुरस्कार सम्मान समारोह में मीना कौशिक को कानून राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल बघेल ने सोशल जस्टिस अवार्ड से सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति समान शिक्षा को लेकर सम्मेलन का आयोजन शिक्षक कल्याण  फाउंडेशन के मुख्य संयोजक जगदीश कुमार द्वारा दिल्ली के कमानी सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

इस कार्यक्रम में ग्रामीण एवं विकास राज्यमंत्री भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में सोशल जस्टिस के अलावा अब्दुल कलाम आजाद सम्मान, चिल्ड्रन ग्लोरी अवार्ड, अंत्योदय अवार्ड , डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली अवार्ड एक्सीलेंस अवार्ड ऑफ एजुकेशन सहित छह प्रकार के पुरस्कार सम्मान सौ गणमान्य व्यक्तियों को राष्ट्र में मुख्य योगदान के लिए दिए गए। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक कल्याण फाउंडेशन द्वारा जगदीश के संयोजन में आयोजित किया गया। 

जिसमें 10000 लोगों ने सम्मान के लिए अपने प्रवेश दर्ज कराएं। गाजियाबाद से पत्रकारिता व सामाजिक क्षेत्र में मुख्य योगदान के लिए मीना कौशिक को सोशल जस्टिस का अवार्ड दिया गया तो वहीं भाजपा नेत्री एडवोकेट अनीता शर्मा को समाज सेवा के उल्लेखनीय योगदान के लिए सोशल जस्टिस अवार्ड से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मंचासीन गणमान्य व्यक्तियों में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के पुत्र फिरोज बख्त , प्रशासनिक प्रशासनिक अधिकारी संतोष कुमार यादव, प्रोफेसर ज्योति चटर्जी मित्रा मौजूद रहे। मंच का संचालन बहुत ही खूबसूरती के साथ जगदीश कुमार वैद्य एवं नवनीत गुप्ता ने किया।

कानून मंत्री एस पी बघेल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति सबको समान शिक्षा विषय पर व्यवहारिक शिक्षा पर बल दिया और उन्होंने कहा कि भारत को फिर से प्राचीन विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने के लिए हमें व्यवहारिक शिक्षा पर बल देना होगा जिसमें अभिभावक माता पिता बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दें और सरकार मोदी जी की सरकार सम्मान शिक्षा की तरफ जाकर उल्लेखनीय कार्य कर रही है। बघेल ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों से भी बताया कि भारत में प्राचीन काल में विज्ञान और साइंस चरम पर था लेकिन ब्रिटिश काल के दौरान जो समान शिक्षा को लेकर बाद में व्यावहारिक दिक्कतें आई थी कि आधी आबादी को समान शिक्षा नहीं मिल पाई जिसका खामियाजा आज हम भुगत रहे हैं नेहरू से लेकर महात्मा गांधी तक सभी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़े और इस तरफ समान शिक्षा की तरफ सबका ध्यान जाना चाहिए था।

अगर यह तब संभव हो पाता तो आज आधी आबादी को यह खामियाजा अब ना भुगतना पड़ता। बघेल ने यह भी कहा कि वह स्वयं भी पांचवी स्तर के स्कूल में पढ़े यानी सरकारी स्कूलों में जहां पर इंग्लिश छठी क्लास से पढ़ाई जाती है और ऐसे में पब्लिक स्कूलों में पड़े बच्चे में और सरकारी स्कूलों के पढ़े हुए बच्चे में जब वेतन पाने और काम का मौका आता है तब असमानता रह जाती है मोदी जी ने समान शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा यानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ध्यान दिया है इससे भारत की छवि फिर से विश्व गुरु की तरह बनेगी क्योंकि शिक्षा ही विकास की मुख्य अधूरी है इस बात को हमें समझना होगा समाज का दायित्व है कि सरकार के साथ-साथ वह भी अपने बच्चों के लिए व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान दें। 

भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उन्हें शिक्षा के समान अवसर नहीं मिल पाते नतीजा इलेक्ट्रीशियन से लेकर पलंबर तक सारे महत्वपूर्ण कार्य करने के बावजूद उन्हें वह मेहनताना नहीं मिल पाता जो पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग या अंग्रेजी पढ़ने वाले बच्चों को मिल पाता है इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति ही अब समाज की दिशा को विकास के चरम पर ले जाएगी और हम जल्दी ही विश्व गुरु की तरफ अग्रसर होंगे।
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