रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमला एकादशी कहते हैं। इस पक्ष आंवला एकादशी 2 दिन होगी ।
2 मार्च को एकादशी सूर्य उदय से अगले सूर्य उदय तक है और 3 तारीख को तीन मुहूर्त पर्यंत एकादशी है। उसके पश्चात द्वादशी तिथि आ जाएगी शास्त्रों के अनुसार द्वादश विद्धि एकादशी का व्रत करना ही श्रेष्ठ होता है। इसलिए आंवला एकादशी का व्रत  3 मार्च को ही रखा जाएगा। एकादशी सठिया गई है इसका अर्थ है कि पहले दिन 24 घंटे एकादशी हो और अगले दिन तक उसका विस्तार तीन मुहूर्त पर्यन्त हो तो उसे एकादशी का सठियाना कहते हैं। इसमें दूसरी एकादशी का व्रत रखना वैष्णव और स्मार्त दोनों ही सम्प्रदाय के लिए शुभ होता है।
 
3 तारीख को प्रातः 9:11 पर एकादशी तिथि समाप्त होगी और द्वादशी तिथि लगेगी ।इसलिए द्वादशी विद्धि एकादशी का व्रत करने का विधान है। एकादशी व्रत का परायण 3 मार्च की रात्रि या  4 मार्च को कर सकते हैं। आमला एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है।
 
इस दिन भगवान विष्णु को प्रिय आंवले की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
आंवला एकादशी को भूलकर भी चावल ना खाएं।
आचरण सात्विक रखें ।
नियम और संयम से रहें।
भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें। अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
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