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गाजियाबाद :- विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के उस बयान की निंदा की मुंबई में संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ऊंच-नीच की श्रेणी भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि जिन लोगों ने भारत को लूटा तोड़ा नष्ट किया वह आज इस देश में अतीत भुला दो के नाम पर सम्मानित हैं और एक अच्छा जीवन जी रहे हैं जिन्होंने भारत की मर्यादा को खंडित किया उसके विश्वविद्यालय को विध्वंस किया उनके विश्व ज्ञान के भंडार पुस्तकालय को जलाकर राख किया उन्हें आज के भारत में सब सुविधाओं से युक्त सुखी जीवन मिल रहा है किंतु वह ब्राह्मण जिन्होंने सदैव अपना जीवन देश धर्म और समाज की उन्नति के लिए अर्पित किया वह आधुनिक भारत में काल्पनिक पुराने पापों के लिए दोषी हैं ब्राह्मण विरोध का यह काम पिछले दो दशकों में कार्यान्वित किया गया सच तो यह है कि इतिहास के किसी भी काल में ब्राह्मण न तो धनवान थे और ना ही शक्तिशाली ब्राह्मण भारत के समुराई नहीं है वन का प्रत्येक जंतु मृग का शिकार करना चाहता है उसे खा जाना चाहता है और भारत का ब्राह्मण ब्राह्मण है 

आज के ब्राह्मण की वह स्थिति है जो कि नाजियों के राज्य में यहूदियों की थी ब्राह्मणों की इस दुर्दशा से किसी को भी सरोकार नहीं जो राजनीतिक दल हिंदू समर्थक माने गए हैं उन्हें भी नहीं सबने हम ब्राह्मणों के साथ सिर्फ छलावा ही किया है ब्राह्मण सदा से निर्धन वर्ग में रहे हैं क्या आप ऐसा एक भी उदाहरण दे सकते हैं जब ब्राह्मणों ने पूरे भारत पर शासन किया हो शिक्षाएं हिंदू धर्म में सर्वोच्च मानी गई उनके नाम और जाति यदि देखी जाए तो वशिष्ठ बाल्मिक कृष्ण राम बुद्ध महावीर कबीरदास विवेकानंद आदि इनमें कोई भी ब्राह्मण नहीं तो फिर ब्राह्मणों के ज्ञान और विद्या पर एकाधिकार का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता यह केवल एक झूठी बनती है जिसे गलत तत्वों ने अपने फायदे के लिए फैलाया गया भारत के स्वर्णिम युग में ब्राह्मण को यथोचित स्थान दिया जाता था और उसी से समाज में व्यवस्था भी ठीक रहती थी सदा से विश्व भर में जिन जिन क्षेत्रों में भारत का नाम सर्वोपरि रहा और आज भी है वह सब ब्राह्मणों की ही देन है जैसे ही अध्यात्म योग प्राणायाम आयुर्वेद आदि यदि ब्राह्मण जरा भी स्वार्थी होते तो यह सब अपने था अपने कुल के लिए ही रखते दुनिया में मुफ्त बांटने की बजाय इनकी कीमत वसूलते वेद पुराणों के ज्ञान विज्ञान को अपने मस्तक में धरने वाले व्यक्ति ही ब्राह्मण कहे गए और आज उनके यह सब योगदान भूलकर हम उन्हें दोष देने में लगे हैं।

जिस ब्राह्मण ने हमें मंत्र दिया वसुदेव कुटुंबकम व जिस ब्राह्मण ने कहा लोगों शक्लो सुखिनो भवंतु वह किसी को दुख कैसे पहुंचा सकता है जो केवल अपनी नहीं केवल परिवार जाति प्रांतीय देश की नहीं बल्कि सकल जगत की कामनाएं करने का उपदेश देता है वह ब्राह्मण स्वार्थी कैसे हो सकता है इन प्रश्नों को साफ मन से बिना पक्षपात के विचार ने की आवश्यकता है आज के युग में ब्राह्मण होना एक दो धारी तलवार पर चलने के समान है यदि ब्राह्मण अयोग्य है और कुछ अच्छा कर नहीं पाता तो लोग कहते हैं कि देखो हम तो पहले ही जानते थे कि इसे इनके पुरखों के को कर्मों का फल मिल रहा है आज का ब्राह्मण नेताओं के स्वार्थ समाज के आरोपों और देशद्रोही तत्वों के षड्यंत्र का शिकार हो रहा है ब्राह्मण बहुत से ब्राह्मण अपने पूर्वजों के व्यवसाय को छोड़ चुके हैं आज बहुत से तो संस्कारों को भी भूल चुके हैं अतीत से कट चुके हैं किंतु वर्तमान से उन को जोड़ने वाला कोई नहीं ऐसे में भविष्य से क्या आशा है आज के ब्राह्मणों की स्थिति क्या आप जानते हैं कि बनारस के अधिकांश रिक्शा वाले ब्राह्मण हैं क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर आपको ब्राह्मण कुली का काम करते हुए मिलेंगे।
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