रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- वैशाख कृष्ण अष्टमी को कालाष्टमी कहा जाता है। कालाष्टमी काल भैरव के व्रत के लिए प्रसिद्ध है। भगवान शिव के रूद्र रूप की पूजा काल भैरव के रूप में की जाती है। जो नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है। घर में अनावश्यक नकारात्मक बाधाएं ,भूत प्रेत आदि व दुष्कृत्यो को दूर करने के लिए काल भैरव की पूजा फलदायक है।
काल भैरव भगवान शिव का रौद्र रूप है ।इसलिए भगवान शिव के रौद्र रूप या काल भैरव की पूजा करना इस दिन बहुत ही उपयोगी है । 13 अप्रैल को कालाष्टमी का व्रत है।
कालाष्टमी का व्रत करने की विधि एवं महत्व.
कालाष्टमी के दिन अर्थात 13 अप्रैल को प्रातः काल नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और मंदिर में भगवान शिव के रूद्र अवतार या काल भैरव की मूर्ति की स्थापना करें।
भगवान शिव को प्रिय वस्तुएं दूध, दही शहद ,पंचामृत, बेलपत्र,, धतूरा एवं खीर अथवा हलवे का भोग लगाएं।
काल भैरव स्रोत अथवा शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें ।भगवान शिव की विशेष पूजा करने के लिए पूरे दिन निराहार रहे ।शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत का परायण करें।
ओम नमः शिवाय ।
कालभैरवाय नमः या महामृत्युंजय मंत्र आदि का जाप करें। इसके साथ-साथ दुर्गा माता का भी प्रिय भक्त काल भैरव है ।इसलिए भगवान शिव के रौद्र रूप के साथ चंडिका माता का भी स्मरण करना चाहिए।
कालाष्टमी व्रत करने के लाभ
वैसे तो काल भैरव और भगवान शिव का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि व संपन्नता आती है ।इसके साथ साथ घर की नकारात्मक द दूर होती है
घर के क्लेश कलह का वातावरण समाप्त होता है। घर पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है।
बार-बार आने वाली बाधाएं कम होती हैं। रोग शोक आदि का निवारण होता है।
धनधान्य का योग बनता है।
भैरव नाथ की कृपा होने से मां दुर्गा की पूजा का फल मिल जाता है।
कालाष्टमी के दिन क्या न करें
किसी की निंदा या चुगली ना करें।
घर में कलह का वातावरण न बनाएं ।
वाणी का नकारात्मक प्रयोग न करें।
किसी को झूठा आश्वासन ना दें।
किसी महिला,गुरु अथवा किसी बड़े का अपमान न करें।
आचार्य शिव कुमार शर्मा,
आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य
गाजियाबाद।