◼️ गुप्त नवरात्रों में होती है 10 महाविद्याओं की पूजा



रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- वर्ष में चार नवरात्रि होते हैं ।दो प्रत्यक्ष रूप से होते हैं जो चैत्र मास में वासन्तिक नवरात्र होते हैं और आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि होते हैं। वैसे तो इन नवरात्रों को मौसम का संधिकाल कहा गया है। दो नवरात्रे गुप्त होते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं ।जो आषाढ़ और माघ के महीने में होते हैं।।आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ शुक्ल नवमी तक  अर्थात 19 जून से 27 जून तक के गुप्त नवरात्रों की पूजा होगी।

प्रत्यक्ष नवरात्रों में मां के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी आदि की पूजा होती है। लेकिन इन नवरात्रों में अधिकतर अधिकतर साधक के तांत्रिक सिद्धियां करते हैं और मां दुर्गा मां की आराधना करते हैं। गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं का की पूजा होती है । इन दस महाविद्याओं में मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी ,छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी के इन स्वरूपों की पूजा होती है क्योंकि  मंत्र सिद्ध करने वाले साधकों के लिए  बहुत ही शुभ होते हैं वे अपने मंत्रों की सिद्धियां इन नवरात्रों में करते हैं  ।जनसाधारण  लोग अपनी सामान्य पूजा कर सकते हैं । जो भक्तों ने चैत्र नवरात्रि में मां की नौ स्वरूपों पूजा करते हैं वह सामान्य रूप से कर सकते हैं‌।

नवरात्रों में बन रहे हैं विशिष्ट योग
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से आषाढ़ शुक्ल नवमी तक  7 दिनों में विशिष्ट योग बने हुए हैं ।स्थिर, मातंग योग, अमृत सिद्धि योग, पद्म योग, छत्र श्रीवत्स योग और सौम्य योग प्रमुख है।
इन सब योगों में विवाह आदि से लेकर ग्रह शांति, पूजा, वास्तु पूजन, गृह प्रवेश  भूमि पूजन ,नामकरण ,मुंडन आदि संस्कार कर सकते हैं। घर की आवश्यकता की सामग्री ज्वेलरी आदि भी क्रय कर सकते हैं। 21 जून को बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र रहेगाजो बहुत कार्य में श्रेष्ठ मुहूर्त है।

19 तारीख को घट स्थापना का मुहूर्त  प्रातः काल 5:10 से 7:24 तक मिथुन लग्न है इसके पश्चात 9:44 बजे से 12:00 बजे तक कन्या लग्न सिंह लग्न  कलश स्थापना के 
लिए अच्छा रहेगा।

आचार्य शिव कुमार शर्मा आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य गाजियाबाद
Previous Post Next Post