सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाजियाबाद :- बिल्डर से फ्लैट दिलवाने की मांग राजीव चौहान ने जिलाधिकारी से की है। राजीव चौहान ने जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र भेजा है। डीएम को भेजे शिकायती पत्र में कहा कि सेवियर पार्क में 2015 में एक फ्लैट लिया जिसकी कीमत 56 लाख रुपए थी, उसकी रजिस्टरी के पैसे 3,50,000 रुपए व मैन्टीनेन्स शुल्क 3,50,000 रुपए शुल्क शुरू में ही दे दिया था और बिल्डर पर 68 लाख रुपए इस फ्लैट की एवज में जा चुके हैं। उसने मुझे उस पर कब्जा दे दिया जिसमें में 7 वर्ष से रह रहा हूं उसके बाद मैने बिल्डर से कहा कि इसकी रजिस्टरी कर दो, तो बिल्डर ने कहा मैं रजिस्टरी कर दूंगा। फिर मैनें 2020 में 2 फ्लैट और लिये जो 2450 वर्ग फिट के थे जो 87-87 लाख रुपए में तय हुए थे। इसमें भी 10-10 प्रतिशत पैसा जा चुका है।

बिल्डर ने कहा मैं तीनों की रजिस्टरी एक साथ कर दूंगा। उसके बाद 2021 में इसने एनजीटी की सील लग गयी जो 2023 मार्च में जाकर खुली। इधर बिल्डर मुझे कहता रहा कि मैं रजिस्टरी कर दूंगा पर लेकिन बिल्डर ने धोखाधड़ी करके इन दोनों फ्लैटों को 2.5-2.5 करोड़ में दूसरों को रजिस्टरी कर दी। मैनें इसकी शिकायत कई बार जिलाधिकारी व जीडीए के वीसी को लिखित में की है। पर इसे अपर सचिव को जिलाधिकारी ने इसकी जांच करके इस मामले को निपटाने का कार्य करें। और लेकिन सचिव इसमें ढुलमुल रवैया रहा । ब्रजेश जीडीए के अपर सचिव है। इन्होनें ही सेवियर पार्क सोसायटी का नक्सा पास हुआ है। उस नक्शे में भी काफी खामियां हैं। 

बिल्डर के साथ करोड़ों का लेन-देन करके इसका क्लब पार्क व सोसायटी के मानकों को गलत तरीके से पास किया हुआ है। इसलिये अपर सचिव इसमें कोई काम करना नहीं चाहते हैं । इसीलिये मेरी शिकायत को इन्होंने 3-4 माह से घोल-मोल रखने का कार्य किया है और मुझे उसके बारे में नई-नई बातें बताते हैं कि आप रेरा में चले जाओ, कोर्ट में चले जाओ, इस तरह की बात करते हैं और में इनसे 10 बार भी मिल चुका हूँ। उसके बाद भी फ्लैटों में इन्टीरियर का कार्य चल रहा है। मैनें कहा इन कामों को रुकवा दीजिए। जीडीए ने पर मेरी किसी भी बात को अनसुना कर दिया। उसके बाद मैनें कमिश्नर को एक प्रार्थना पत्र दिया उस एप्लीकेशन की जांच एसीपी इन्दिरापुरम के माध्यम से हुई। जांच 3 माह चली उसमें यह सब बातें सत्य पायी गयीं और उसमें साहिबाबाद थाने में बिल्डर के खिलाफ 420, 406 में मुकदमा कायम हुआ पर लेकिन उसमें 8-10 लोग थे। इसमें थाना इन्चार्ज ने एक ही लोग पर मुकदमा कायम किया हुआ है जबकि 8 लोगों को ऐसे ही छोड़ दिया है। और जांच के नाम पर घोल-मोल रवैया अपना रहे हैं। 

26 को मुकदमा हुआ उसके बाद आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ना कोई गिरफतारी हुई है। जबकि 8 लोगों पर भी मुकदमा लिखा जाना चाहिए था। मैं कितने सालों से परेशान हूँ ना शासन ना प्रशासन सुनने के लिये तैयार नहीं है। मैं इसके लिये अब आन्दोलन ही करूंगा ताकि समाज में इस तरह के बिल्डरों को किसी भी प्रकार की बिल्डिंग बनाने का कार्य न शासन प्रशासन के द्वारा न अनुमति दी जाये । ऐसे लोगों के खिलाफ में गाजियाबाद जिले में इस बिल्डर के खिलाफ मोर्चा खोलने का कार्य करूंगा। अतः आपसे निवेदन है कि इस बिल्डर से मेरे फ्लैट दिलवाएं व तुरन्त बिल्डर के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
Previous Post Next Post