रिपोर्ट :- वेद प्रकाश चौहान

हरिद्वार :- कथा व्यास पंडित विष्णु दत्त सरस ने कहा कि मानव तन परमात्मा का श्रेष्ठतम उपहार है। अतः हमें इसका सदुपयोग भागवत भक्ति में करना चाहिए। सप्तसरोवर हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित विष्णु दत्त सरस ने कहा कि मानव तन हमें भगवान की प्राप्ति के लिए मिलता है, मगर हम सांसारिक मोह-माया में पडकर यह भूल जाते हैं और इसी कारण हमें तरह-तरह के दुखों का सामना करना पडता है। लोग कहते है कि जगह-जगह कथाएं चल रही हैं, पर अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है। 

सच्चिदानंद स्वरुप परमात्मा की कथाओं को ध्यान से न सुनने की वजह से कथा का अंश चित्त में स्थाई नहीं रह पाता है। फिर उसका आचरण भी सच्ची निष्ठा से नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि कलिकाल में कथनी और करनी में भटकाव की भयावह स्थिति का अनुमान करते हुए ही वेद व्यास जी ने भागवत कथा की रचना की थी। उसका यथावत परिपालन होने की स्थिति में ही मानव कल्याण सुनिश्चित है। कथा व्यास पंडित विष्णु दत्त सरस ने भजनों से सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। मुख्य यजमान संतोष देवी व हरिकृष्ण मित्तल ने कथा व्यास का स्वागत किया।
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