रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि राजनेताओं की समाज के प्रति भी जिम्मेदारी होती है और कोई भी बयान देने से पहले उन्हें इस पर विचार करना चाहिए कि इसका परिणाम क्या होगा और कहीं उनका कथन अराजकता के लिए तो प्रेरित नहीं कर रहा है। रामचरित मानस की चौपाइयों को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियों ने न सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया बल्कि कुछ लोगों को कानून के उल्लंघन के लिए प्रेरित भी किया। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इसीलिए स्वामी प्रसाद मौर्य को उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे से राहत देने से इन्कार करते हुए उन्हें आईना दिखाया है। कोर्ट का यह कथन महत्वपूर्ण है कि मानस की चौपाइयों का सही अर्थ समझे बिना उसकी व्याख्या नहीं की जानी चाहिए और यह भी देखा जाना चाहिए कि कोई बात किस काल में, किस संदर्भ में,किस परिस्थिति में और किससे कही गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य का कृत्य इसलिए भी निंदनीय है क्योंकि उनकी टिप्पणी के बाद कुछ लोगों ने मानस की
प्रतियां जलाईं और हिंदू समाज को गालियां दीं। 

जाहिर है कि उन्होंने अपने बयान से लोगों को उकसाने का काम किया।रामचरित मानस एक पवित्र और हिंदुओं के लिए पूज्य ग्रंथ है। मानस हमेशा से समाज को दिशा देने का काम करता आ रहा है, इसलिए उसका सम्मान किया जाना चाहिए। हिंदू समाज अत्यंत ही सहिष्णु है। इसलिए किसी भी राजनेता को यह अधिकार नहीं मिल जाता कि उसके सर्व स्वीकार ग्रंथ को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां करे। कुछ राजनेता ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ हासिल हो सके। इसके लिए वे मर्यादा लांघने से भी परहेज नहीं करते।
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