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गाजियाबाद :- आचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि भगवान सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर संक्रांति इस बार 14 की जगह 15 जनवरी को मनाया जाएगा। ऐसा इस कारण होगा कि भगवान सूर्य 14 जनवरी की रात्रि में 2 बजकर 44 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 77 साल के बाद इस बार दुर्लभ संयोग वरियान योग में यह पर्व मनाया जाएगा। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार मकर संक्रांति पर कई ग्रहों का संयोग भी बन रहा है। मकर संक्रांति पर सुख और वैभव प्रदानकरने वाले शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि में मौजूद होंगे। 

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ और गुरु भी अपनी स्वराशि मेष में मौजूद होंगे। वहीं वरियान योग 14 जनवरी 2024 को रात 02 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 15 जनवरी की रात 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा रवि योग 14 जनवरी को सुबह 10 बजकर 22 मिनट से लेकर 15 जनवरी की सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

इस साल 2024 की मकर संक्रांति का नाम घोर है। मकर संक्रांति का महापुण्य काल सुबह 07ण्15 बजे से सुबह 09ण्00 बजे पुण्य काल सुबह 07ण्15 से शाम 05ण्46 तक है। मकर संक्रांति के समय सूर्य देव का वाहन अश्व और वस्त्र श्याम यानि काले रंग का होगा। सूर्य देव श्याम वस्त्र पहनेंए घोड़े पर सवार होकर दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। सूर्य देव का उपवाहन सिंहनी व उनका अस्त्र तोमर है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। तिल और गुड़ के सेवन से ठंड के मौसम में शरीर को गर्मी मिलती है और यह स्वास्थ के लिए लाभदायक है। । मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव के पुत्र शनि के घर पहुंचने पर तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है।
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