◼️चंद्रमा रात्रि 9:11 पर उदय होंगे



रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- माघ मास की कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में यह व्रत रखा जाता है। इसे तिलकुटा चतुर्थी तथा विनायकी  चतुर्थी भी कहते हैं। भगवान गणेश को प्रिय यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है। सांसारिक कष्टों से निवृत्ति के लिए , सुख समृद्धि और शांति के लिए, सुयोग्य संतान के लिए, और धन-धान्य वृद्धि के लिए इस व्रत को किया जाता है।
इस दिन  व्रत करने वाले भक्त गण  प्रातः काल जल्दी  उठकर नित्य क्रिया के पश्चात स्नान आदि करके स्वच्छ स्वच्छ वस्त्र पहने। पूजा के समय एक पटरी पर गणेश जी की मूर्ति रखें। साथ में रिद्धि सिद्धि माता को भी आमंत्रित करें।
भगवान को प्रिय मोदक का भोग लगाएं।

इस दिन तिल के लड्डू ,तिल के मिष्ठान आदि बनाने का महत्व है।
महिलाएं इस दिन शाम को तवे पर तिल भी चटकाती हैं।
ऐसी मान्यता है कि सफेद तिलों को तवे पर चटकाने से घर की सारी नकारात्मकता दूर जाती है। भगवान गणेश जी सारी कामनाओं को पूरा कर देते हैं।
पौराणिक कथानक के अनुसार कहा जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश जी ने अपने माता-पिता शिव पार्वती की परिक्रमा करके देवताओं में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया था। इसलिए वे प्रथम पूज्य माने जाते हैं।
पूजा के समय विभिन्न पूजा सामग्रियों से पूजन करें । तिल के लड्डू का भोग विशेष रूप से लगाएं।
उसके पश्चात गणेश जी की आरती, गणेश जी के किसी मंत्र का जाप, संकट मोचन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से जीवन की सारी विषमताएं दूर होकर के सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

इस दिन चंद्रमा रात्रि को 9:11 पर निकलेंगे। व्रती लोग चंद्रमा को जल का अर्घ्य देकर भी पारायण कर सकते हैं । किंतु शास्त्रों के नियमानुसार
व्रत का पारायण अगले दिन प्रातः 9:00 बजे किया जाएगा।
क्योंकि इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है। सोमवार 29 जनवरी को प्रातः काल सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय के पश्चात 8:54 बजे तक चतुर्थी रहेगी।


आचार्य शिवकुमार शर्मा,
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु  कंसल्टेंट,
गाजियाबाद
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