रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में संत शिरोमणि रविदास तथा संत गाडगे महराज की जयंती का आयोजन “सामाजिक न्याय” दिवस के रूप में बड़े उल्लासपूर्वक मनाया गया, लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष शिक्षाविद राम दुलार यादव मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम में शामिल रहे, अध्यक्षता पूर्व अधिकारी दिल्ली सी0 पी0 सिंह, मुख्य अतिथि कैलाश चन्द्र शिक्षाविद, आयोजन बैजनाथ रजक, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया| समारोह में शामिल सभी विद्वानों, गणमान्य अनुयायियों ने संत द्वय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण करते हुए उनके द्वारा दिखाये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया, रमेश भारती, राजेंद्र सिंह ने गीत और भजन प्रस्तुत कर समारोह में शामिल सभी की वाहवाही लूट ली, मुख्य अतिथि ने दोनों महान संतों के जीवन पर प्रकाश डाला, ड़ा0 अंबेदकर जन कल्याण परिषद उ0 प्र0 अध्यक्ष श्याम नारायण, रिषिपाल एडवोकेट ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास सामाजिक न्याय के लिए क्रांतिकारी काम किये। जब समाज में पाखंड, अंधविश्वास, अंधभक्ति, मूर्तिपूजा, आडंबर, ऊंच-नीच, जातिवाद, धार्मिक पाखंड व्याप्त था, तब आपने ललकारा और कहा कि
“माथे तिलक, हाथ जप माला, जग ठगने का स्वांग रचाया |
मारग छाडै, कुमारग डहकै, सच्ची प्रीति बिन राम न पाया” ||
उन्होने जातिवादियों का भी डटकर मुक़ाबला किया, रूढ़िवाद, कुरीतियों के समूलनाश के लिए लगातार ललकारते रहे तथा कहा कि
“जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान |
मोल करो तलवार की, छिपी रहे जो म्यान”||
उन्होने सद्भाव, भाईचारा, प्रेम का संदेश दिया, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, असमानता को समाज का कोढ़ माना, जीवन भर सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया, आज 21 वीं शदी में भी हम इन बुराइयों से पूर्णत: निजात नहीं पा सके है, वर्चस्ववादी ताक़तें आज भी कमजोर वर्गों को प्रताड़ित कर उन्हे अपमानित करने से नहीं चूकती, हम लोगों को लगातार संत शिरोमणि रविदास जी के विचार को फैलाना चाहिए और अन्याय, अनाचार, शोषण का डटकर मुक़ाबला करना चाहिए।
संत गाडगे महराज ने भी सामाजिक बुराइयों को दूर करने का भगीरथ प्रयास किया, पशुबलि को रोकने के लिए समाज में अलख जगाते रहे, भजन, कीर्तन के माध्यम से स्वच्छता अभियान गाँव-गाँव चलाते तथा शिक्षा पर अधिक ज़ोर देते हुए कहा कि
“भले ही एक कपड़ा कम पहनो, बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपने गहने बेच दो, लेकिन उन्हे शिक्षित बनाओ, पुस्तक उपलब्ध कराओ” | उन्होने कहा कि दुर्व्यसन छोड़ दो, तथा यह सोच लो कि आप का कोई ईश्वर और देवता भला नहीं कर सकता, उनका कहना था कि “जो भगवान अपने मंदिर में दिया नहीं जला सकता, वह आपके जीवन में कहां से ज्ञान का प्रकाश फैला सकता है”| शिक्षा के क्षेत्र में 31 विद्यालय खोल, 18 धर्मशाला, प्याऊ और घाट बनवा समाज में समता और ज्ञान का दिया जला प्रकाशित किया, आज 21 वीं शदी में शिक्षा और चिकित्सा की हालत यह है कि वह कमजोर वर्ग की पकड़ से बाहर है, केवल झूठ और लूट का वातावरण बनाया जा रहा है, गरीब का बच्चा पढ़ नहीं पा रहा है, न उसे अच्छी चिकित्सा ही मिल पा रही है, भरमाया और बहकाया जा रहा है, आज इस व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता है तभी हम बाबा के सपनों का भारत बना सकते है|
कार्यक्रम में सकड़ों लोग शामिल रहे तथा श्रद्धा सुमन अर्पित किया, प्रमुख रहे, राम दुलार यादव, राम प्यारे यादव, एडवोकेट रिषिपाल, एडवोकेट विजय भाटी, सी0 पी0 सिंह, हाजी मोहम्मद सलाम, राजेंद्र सिंह, मुनीव यादव, संभूनाथ जायसवाल, एस0 एन0 अवस्थी, डी0 के0 सिंह चौहान, सम्राट सिंह यादव, हरेन्द्र यादव, रामेश्वर यादव, अनिल सिंह, बैजनाथ रजक, चन्दन कुमार, रमेश भारती, देवनाथ भारती, ए0 के0 मिश्र, ब्रह्म प्रकाश, शिवानंद चौबे, रोहित यादव, श्रीराम कुशवाहा, कैलाश चंद्र, छेदीलाल, श्याम नारायण, हरिकृष्ण, नवीन कुमार, प्रेमचंद पटेल, सुरेश कुमार, रेशमा, शीतल, शिवम पाण्डेय, राजीव गर्ग, नरेश भगत, राज किशोर, अमरनाथ, राणा सिंह, अजय, राजू, विजय भारद्वाज, हरीश ठाकुर, भक्ति यादव, अमर बहादुर, दिलीप यादव, औं कुमार, अजयवीर आदि।