रिपोर्ट :- जय कुमार
आगरा :- नाटक को डॉक्टर ज्योत्स्ना रघुवंशी ने लिखा और दिलीप रघुवंशी ने निर्देशित किया। नाटक में नाट्य पितामह राजेंद्र रघुवंशी रचित गीत_ बावली संध्या निशा की राह तकती/ क्यों हृदय में आग उठती/ उड़ चले पंछी पखेरू/दूर निडो में करेंगे अब बसेरा,भी रखा गया है। भारतीय जन नाट्य संघ (ipta) आगरा के एक घंटे के नाटक में अपने परिजनों से उपेक्षित बुज़ुर्गों की व्यथा को बहुत ही सुन्दर ढंग से चित्रित किया गया है। जीवन संध्या में अभी भी बहुत कुछ बाकी है, सब समाप्त नहीं हुआ है। बस सकारात्मक सोच की ज़रूरत है।
नाटक में मुख्य भूमिका निभाई है डॉक्टर ज्योत्सना रघुवंशी(मधु), दिलीप रघुवंशी(अजय), अर्चना सारस्वत(सरला), मुक्ति किंकर (महेंद्र), असलम खान (मैनेजर), शकील चौहान(बेटा), कुमकुम रघुवंशी(बहू 1), ततहीर चौहान(नीरा), सूरज सिंह (डॉक्टर सतीश), जय कुमार(अपूर्व), पूजा पराशर(बहू2), बच्चे_समीर, निवेदिता, अलिश्बा, वेदांत ।
पार्श्व संगीत_सिद्धार्थ रघुवंशी एवम पार्श्व गायन_सूर्य देव का था।प्रबंध अनिल उपाध्याय एवम शैलेंद्र शर्मा का रहा।ढोलक पर भारत कुमार थे। नाटक के निर्माता आकाशवाणी आगरा के श्रीकृष्ण हैं। आकाशवाणी के केंद्र निदेशक नीरज जैन एवम सुमित शर्मा ( तबला) का विशेष सहयोग रहा।
नाटक का प्रसारण अगले माह जुलाई के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है।