उदित मोहन गर्ग


रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :- पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल ने जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर बड़ा तंज कसते हुए कहा की यह अब एक दुखदाई कर प्रणाली बन गई है जो जीएसटी के मूल घोषित उद्देश्य  "गुड एंड सिंपल टैक्स के ठीक विपरीत है ! वर्तमान जीएसटी कर प्रणाली भारत में हो रहे  व्यापार की जमीनी हकीकत से काफी हद तक दूर है। जीएसटी के तहत विभिन्न हालिया संशोधनों और नियमों की शुरूआत ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है ! 
                    तिलक राज अरोड़ा

प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम दास एवं  प्रदेश महामंत्री तिलक राज अरोड़ा ने कहा पिछले 4 वर्षों से अधिकारियों द्वारा जीएसटी के वर्तमान स्वरुप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की भारत में जीएसटी लागू होने के लगभग 4 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। नियमों में संशोधन किया गया है लेकिन पोर्टल उक्त संशोधनों के साथ समय पर अद्यतन करने में विफल है। अभी तक किसी भी राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है। "वन नेशन-वन टैक्स" के मूल सिद्धांतों को विकृत करने के लिए राज्यों को अपने तरीके से कानून की व्याख्या करने के लिए राज्यों को खुला हाथ दिया गया है !कोई केंद्रीय अपील प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है। जीएसटी अधिकारी ई सिस्टम के द्वारा कर पालना तो कराना चाहते हैं किन्तु देश में व्यापारियों के बड़े हिस्से को अपने मौजूदा व्यवसाय में कम्प्यूटरीकरण को अपनाना बाकी है, इस पर उन्होंने कभी नहीं सोचा और  व्यापारियों आदि को कंप्यूटर आदि से लैस करने के विषय में कोई एक कदम भी नहीं उठाया गया है ! जीएसटी में जबकि सारा कार्य अंग्रेजी में कराया जा रहा हैl

महानगर अध्यक्ष उदित मोहन गर्ग ने कहा कि हाल ही में एक जीएसटी में एक नियम लागू करके जीएसटी अधिकारियों को किसी भी व्यापारी के जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने का मनमाना अधिकार दे दिया है जिसमें व्यापारियों को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया जाएगा ! जबकि फांसी पर चढ़ाने से पहले भी  आखिरी इच्छा पूछी जाती है यह न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के बिलकुल विरूद्ध है ! अधिकारियों को मनमाने बेलगाम अधिकार दिए जा रहे हैं जिससे निश्चित रूप से भ्रष्टाचार को  मिल रहा है ! जीएसटी कानून को बेहद विकृत किया गया है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि 31 दिसंबर, 2020 तक जीएसटी लागू होने की तारीख के बाद कर प्रणाली को कठोर करने के इरादे से से कुल 927 अधिसूचनाएं जारी की गई हैं, 2017 में 298, 2018 में 256, 2019 में 239 और 2020 में 137 सूचनाएं। ऐसी स्थिति में हम व्यापारियों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे कराधान प्रणाली का समय पर अनुपालन करें।

कर ढांचे को सरलीकरण और युक्तिकरण को करना  जरूरी है व्यापारी   टैक्स कलेक्टर है जीएसटी में सड़कों पर उतर कर इस कानूनों का विरोध करेगा
Previous Post Next Post