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गाज़ियाबाद :- बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में वीके सिंह की जगह अतुल कुमार गर्ग पर दांव चला है। उन्हें गाजियाबाद लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है। लेकिन इस सीट से विजय पताका फहराना गर्ग के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। गाजियाबाद से विधायक अतुल कुमार गर्ग के सामने सिर्फ एक चुनौती नहीं बल्कि चुनौतियों का पहाड़ है। उनके सामने जातीय समीकरण से लेकर पार्टी के नेताओं का विरोध और स्थानीय लोगों की नाराजगी जैसी कई मुसीबतें हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब गर्ग और उनके बेटे को स्थानीय लोगों का विरोध झेलना पड़ा है। ये कहना है डॉक्टर बीपी त्यागी का

डॉक्टर बीपी त्यागी ने कहा कि गाजियाबाद सीट पर जीत हमेशा से बीजेपी के लिए आसान रही है। लेकिन जीत की ये राह गर्ग के लिए आसान नहीं होगी। गाजियाबाद की सबसे बड़ी टाउनशिप में से एक क्रॉसिंग्स रिपब्लिक की कई बैठकों से गर्ग और उनके बेटे को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। यहां अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों का कहना है कि अतुल गर्ग ने विधायक के अपने कार्यकाल के दौरान बहुमंजिला सोसाइटियों की भलाई के लिए कभी कोई काम नहीं किया। इसके अलावा राज्य स्वास्थ्य मंत्री होते हुए भी भावी सांसद ने किसी भी अस्पताल की सूरत बदलने में रुचि नहीं दिखाई।अब अस्पताल का विकास तो हुआ नहीं, लेकिन नेता जी की संपत्ति में जरूर विकास हुआ। अब आपको बताते है कैसे दरअसल 2022 में निर्वाचन आयोग को दिए हलफनामें के मुताबिक 2017 से लेकर 2022 के बीच अतुल गर्ग की संपत्ति में लगभग दोगुनी हुई है। 2017 में उनके पास जहां 12 करोड़ 19 लाख की संपत्ति थी तो वहीं बढ़कर 22 करोड़ 18 लाख हो गई। नामांकन पत्र में 66 वर्षीय विधायक अतुल गर्ग ने बताया कि उनकी बीवी सुधा गर्ग के पास 3 करोड़ 63 लाख की संपत्ति है। इसके अलावा एक रिवाल्वर और एक बंदूक भी है।

उन्होंने कहा कि नतीजन शहर की जनता को इलाज के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। गाज़ियाबाद के जिला स्तरीय अस्पतालों में मरीजों के लिए ना डॉक्टर है,  ना दवाई और मरीज  के लिए न बैठने की कोई सुलभ व्यवस्था. मजबूरी में तपती हुयी गर्मी में भी मरीजो  को अस्पताल के बाहर जमीन पर सोना पड़ रहा है। जहां मरीज परीजन ठीक होने की आस में पशु की तरह लेटे हुए है।
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