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गाजियाबाद :- आचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व माना गया है। अक्षय तृतीया सर्व सिद्धि मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना का विशेष महत्व होता है। उनकी पूजा-अर्चना करने से जो फल प्राप्त होता है, उसका कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन गंगा स्नान करना चाहिए। अगर गंगा स्नान के लिए ना जा पाएं तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। 

आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया का पर्व शुक्रवार 10 मई को है।  वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगी और इसका समापन 11 मई को सुबह 02 बजकर 50 मिनट पर  होगा। भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस दिन किए गए पुण्य कार्य अक्षय हो जाते हैं। शुभ कार्यों के लिए अक्षय तृतीया की तिथि बहुत ही खास मानी गई है। अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी बिना मुहूर्त के  सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी की जयंती भी मनाई जाती है। अक्षय तृतीया पर ही सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। 

भगवान विष्णु के अवतार नरण्नारायण और हयग्रीव का अवतरण अक्षय तृतीया तिथि पर ही हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन से ही वेद व्यास और श्रीगणेश ने महाभारत ग्रंथ के लेखन का कार्य प्रारंभ किया गया था। इस दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था और मां गंगा का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। इस तिथि पर ही हर वर्ष बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं । वृन्दावन के श्री बांकेबिहारी जी के मंदिर में सम्पूर्ण वर्ष में केवल एक बार उनके श्री विग्रह के चरणों के दर्शन भी  होते हैं। अक्षय तृतीया तिथि से ही उड़ीसा के प्रसिद्धि पुरी रथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण का कार्य शुरू हो जाता है।
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