रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- आचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास हिन्दू कैलेण्डर का आठवाँ माह है। कार्तिक माह के पूर्ण चन्द्र दिवस को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन को पूर्णिमा, पूनम, पौर्णमी व पूरणमासी आदि भी कहा जाता है। वैष्णव सम्प्रदाय में कार्तिक माह को दामोदर माह के रूप में जाना जाता है। दामोदार भगवान कृष्ण के  पवित्र नामों में से एक नाम है। भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय होने के  कारण ही कार्तिक माह अन्य माह की तुलना में सर्वाधिक पवित्र एवं महत्वपूर्ण माना जाता है। 

कार्तिक पूर्णिमा उत्सव का आरम्भ प्रबोधिनी एकादशी दिवस से होता है। एकादशी कार्तिक माह शुक्ल पक्ष का ग्यारहवाँ दिवस तथा पूर्णिमा इस माह का पन्द्रहवाँ दिवस होती है।अतः कार्तिक पूर्णिमा का पर्व पाँच दिवस तक मनाया जाता है। प्रबोधिनी यानि देवउठनी एकादशी से आरम्भ होने वाले तुलसी.विवाह उत्सव का समापन भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है।। अधिकांश भक्तगण कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवी तुलसी एवं भगवान शालिग्राम के विवाह अनुष्ठान का आयोजन करते हैं। पंच दिवसीय भीष्म पञ्चक व्रत एकादशी से प्रारम्भ होकर कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होता है। वैष्णव सम्प्रदाय में इस पञ्चक व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसको विष्णु पञ्चक के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पूर्व वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत एवं पूजन किया जाता है। भगवान शिव के भक्तों के लिए वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन वाराणसी स्थित मणिकर्णिका घाट पर सूर्योदय से पूर्व गङ्गा स्नान करना अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली मनायी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था।  त्रिपुरासुर के अन्त की प्रसन्नता में देवताओं ने सम्पूर्ण स्वर्गलोक को दीप प्रज्वलित कर प्रकाशित कर दीपावली का रूप दे दिया गया। इसीलिये कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर समस्त मन्दिर.देवालयों एवं घाटों पर सहस्रों दीप प्रज्वलित किये जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर श्री हरि भगवान के मतस्य रूप में जल मे विराजमान रहने से इस पर्व पर जल में दीप प्रवाहित करने का बहुत अधिक महत्व है। साथ ही कार्तिक पूणिमा पर सत्यनारायण भगवान की कथा का तो बहुत अधिक महत्व है। भगवान सत्यनारायण की कथा से सभी दुख-संकट दूर होते हैं। बंधन से मुक्ति मिलती है जिससे बैकुंठ धाम में जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
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