रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- सिद्ध पीठ श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में सावन मास का पहला दिन होने के कारण दुधेश्वर नाथ मंदिर में प्रातः काल भगवान भोलेनाथ का भव्य श्रृंगार एवं आरती पुजन किया गया। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी जी महाराज ने वैद विद्यापीठ के आचार्य एवं छात्रों द्वारा मन्त्रोउच्चारण के साथ भगवान शिव का पंचामृत द्वारा अभिषेक किया गया।

श्रीमहंत नारायण गिरि जी महाराज ने बताया कि आज सावन मास को सर्वोत्तम मास कहा जाता है। यह 5 पौराणिक तथ्य बताते हैं कि क्यों सावन आरंभ हो गया है तो सबसे खास पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम 'नीलकंठ महादेव' पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया।

उन्होंने कहा की मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी। जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे। भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है।

इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 'शिवपुराण' में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना का उत्तमोत्तम फल है, जिसमें कोई संशय नहीं है। शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए ये समय भक्तों, साधुसंतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है, जिसे 'चौमासा' भी कहा जाता है; तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं।

इस अवसर पर आज दुधेश्वर मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग एवं उपाध्यक्ष अनुज धर्म गर्ग ने बताया कि श्रावण मास में दूधेश्वर नाथ मंदिर में आने वाले सभी भक्तों एवं कांवडियों के लिए व्यवस्था की जाएगी। इसमें किसी भी प्राप्त एवं कावड़िया को जलाभिषेक करने में कोई परेशानी ना हो इसके चलते श्री दूधेश्वर सिंगार सेवा समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल ने अपने सभी कार्यकर्ता मंदिर समिति के समस्त पदाधिकारियों द्वारा आने वाले कांवड़ियों एवं भक्तों लिए समस्त प्रबंध किए जाएंगे उसमें सभी भक्तों को जलाभिषेक करने में कोई कष्ट न हो सके आज सावन मास शुरू होने पर भक्तों की काफी संख्या में जलाभिषेक किया जा रहा है सोमवार को मंदिर समिति द्वारा पूरी व्यवस्था की जाएगी अनेक भक्तों एवं श्रद्धालुओं आदि भगवान का दर्शन किये
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